बडे आश्चर्य की बात है ।
एक सारी सृष्टि का मालिक पूर्ण ब्रह्म सतगुरू कबीर परमेश्वर एक दास बनकर इस धरती पर आये.. और हम नालयक चौधरी बने घूम रहे है.. अहंकार और घमंड से युक्त हम भगवान के दर्शन करना चाहते है. कैसे दर्शन हो??? भगवान तो दासो से मिलता है चौधरीयो से नही मिलता..
वो कुल के धनी एक झोपडी मे रहकर गये.. हमारे पास थोडा सा धन हो जाये तो धरती तोल देते है. हम आलीशान कोटि बंगलो के ख्वाब देखते है. हम पता नही अपने आप को क्या समझने लगते है ..
महा शक्तिशाली कबीर परमेश्वर एक फूंक मार दे ब्रह्मांड पलटा दे. इतने शक्तिशाली होते हुए भी उन्होने लोगो की गालीया खाई जूते चप्पल खाये. लोगो मुल्ला पंडितो की 52 लाते खाई..
लेकिन किसी को सराप तक नही दिया कितने सहनशील शीतल थे हमारे परमेश्वर कबीर साहेब..
और हमे कोई थोडा सा कुछ बोल दे एक की दो सुना देते है.. गुस्से से लाल पीले हो जाते है इसने कह कैसे दी ये बात.. मेरा अपमान कर दिया इसको तो मै छोडूंगा नही.. कहते है ना थोथा चना बाजे घना..
बताओ कितने विकार भरे पडे है भगवान हमारे करीब आये भी तो कैसे आये.??
दुनिया मे सबसे ताकतवर इंसान वो है जिसने गुस्से पर विजय पा ली है जो सहनशील हो धर्यवान हो शीतल हो जो अपमान करने पर दुखी ना हो बडाई करने पर खुश ना हो… ये सभी कुछ कबीर परमेश्वर ने हम मुर्खो को practical करके दिखाया..
कि जैसी मेरी रहणी करणी है वैसी तुम्हारी भी होगी तब तुम भी मेरी तरह अमरलोक से आये हो और अमरलोक चले जाओगे…
कबीर परमेश्वर जुलाहा कहलाये छोटी जाति का नीच व्यक्ति बने और हम जाट ब्रह्माण सुनार बनकर अपनी अपनी जात सर पर धर कर घूम रहे है.. जब कुत्ते गधे बनकर लोगो के लठ खायेगे तब कहा जायेगी ये जात पात.. सुधरते नही हम सारे विकार हम लोगो मे भरे पडे है इसलिए चौरासी लाख योनियो और नरक मे धक्के खाते है..
कबीर- दुविधा दुर्मती चतुराई मे जन्म गया नर तोरा रे..
दुविधा ये है – किसने देखा है आगे का कहा है भगवान?? कहा है स्वर्ग नरक चौरासी लाख योनी?? सब झूठ है जब होगा देखी जायेगी.. बता सुवर बन लेगा फिर के देखेगा.. फिर तो समाने पडी लैटरिंग दिखाई देगी उसको खाईये.. फिर कोई तुझे तंदूर मे भूनकर खा जायेगा.. देखना है तो अब देख पूर्ण गुरू रामपाल जी से भक्ति विधि पूछ ले.
दुर्मती ये है – मुर्ख कभी सतसंग मे नही आता.. क्या ले रहा है सतसंग?? सतसंग खाने को दे देगा.. किसी की नही मानता.. बस बोलता है अपने बच्चो माता पिता की सेवा करो ये ही भक्ति है..
अगर माता पिता बच्चो की सेवा करने से मुक्ति हो जाती पाप कट जाते तो क्या जरूरत थी गीता के 18 अध्याय 700 श्लोक बोलने की पागल था क्या गीता बोलने वाला भगवान.. ??
चतुराई ये है – दो बाते सिख ली अपने से ज्यादा विद्वान किसी को नही मानता.. अपने को ज्यादा स्याना समझता है. अपने को और अपनी बात को उपर रखता है.. किसी की नही सुनता अपनी अपनी चलाता है..
ये लक्ष्ण जिस व्यक्ति के अंदर होते है उनकी दुविधा दुर्मती चतुराई के कारण वे मनुष्य जन्म बरबाद करके फिर नरक चौरासी लाख योनीयो मे कुत्ते गधे बनकर धूमते है.
बताओ अगर इन मुर्खो के दिमाग से ज्ञान से जीव का उद्धार हो जाता तो क्या जरूरत थी गीता के 18 अध्याय 700 श्लोक लिखने की.. उस परमात्मा को क्या जरूरत थी सतगुरू बनकर धरती पर ज्ञान देने आने की.. सतग्रंथो को समझाने की..
गरीब – दास बनकर उतरे इस पृथ्वी के माही…
जीव उदाहरण जगतगुरू बार बार बलि जाही..
हे कबीर परमेश्वर इस पृथ्वी पर आप एक दास बनकर आये मालिक…. हम जीवो के उद्धार के लिए आप स्वयं दास बने आप स्वयं जगतगुरू सतगुरू बने.. हे मालिक आपकी महिमा के लिए मेरे पास शब्द नही है.. बार बार बलिहारी जाऊ .. आपके पावन चरणो मे वीरदास का कोटि कोटि प्रणाम….
बंदिछोड सतगुरू जगतगुरू रामपाल जी महाराज की जय हो
कोटि कोटि सिजदा करू कोटि कोटि दंडवत प्रणाम…
सतगुरू रामपाल जी महाराज आपने ऐसा ज्ञान दिया..
ब्रह्मांड मे किसी के पास ये तत्वज्ञान नही है..
आपके ज्ञान से पता चलता है
ये ज्ञान केवल कबीर परमेश्वर ही दे सकता है
आप स्वयम कविर्देव है..🙏🙏