तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जबतन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
सतगुरू तिलक, अजपा माला, यूक्त जटा रखवावै
सतगुरू तिलक अजपा माला, यूक्त जटा रखवावै
जद कोपीन, सैहन का चोला, भीतर भेख बनावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
लोकलाज मर्याद जगत की, त्रीण ज्यूँ तोड़ बगावै
लोकलाज मर्याद जगत की, त्रीण ज्यूँ तोड़ बगावै
कामिनी कनक ज़हर कर जानै, वो शहर अगमपूर जावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
ज्यौं पतिव्रता पति से राति, आन पुरूष ना भावै
ज्यौं पतिव्रता पति से राति, आन पुरूष ना भावै
बसै पिहर में सूरत प्रीत में, न्यू कोए ध्यान लगावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
निंदा-स्तूति, मान-बड़ाई, मन से मार गिरावै
निंदा-स्तूति, मान-बड़ाई, मन से मार गिरावै
अष्ट सिद्धी की अटक ना मानै, आगै कदम बढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
आशा नदी उल्ट कै डाटै, आडा पंथ लखावै
आशा नदी उल्ट कै डाटै, आडा पंथ लखावै
भौजल खार समुंदर मैं फिर, बहोर ना खोड़ मिलावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
गगन महल गोविंद गूमानी, पलक माहे पहूँचावै
गगन महल गोविंद गूमानी, पलक माहे पहूँचावै
नितानंद माटी का मन्दिर, नूर तेज़ हो जावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
तन, मन, शीश ईश अपने पै, पैहलम् चोट चढ़ावै
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
जब कोए राम भगत गत पावै, हो जी
By-Banti Kumar & Friend