• अनूठा विवाह:-ना डीजे ना घोड़ी ना किसी तरह का दिखावा
22 मई 2017
खण्डवा | खण्डवा जिसे पूर्वी निमाड़ के नाम से जाना जाता है। यहाँ आज 21 मई 2017 को ग्राम मांडला में एक अनोखी शादी देखने को मिली जिसमे ना तो वधु ने मेहँदी रचाई ना कोई हार श्रंगार ना दुल्हा घोड़ी चढ़ा ना अन्य कोई बैंड-बाजा जिस तरह से हमारे देश में दहेज़ की रस्म सबके दिमाग में घर किये हुए है वहीँ आज यहां सबसे बड़ी और ख़ास बात यह रही की इस शादी में किसी भी तरह का कोई दहेज़ नही लिया।
जिससे समाज को यहाँ एक नई प्रेरणा मिली की वास्तव में दहेज़ एक सबसे बड़ी सामाजिक कुरीति है। दहेज़ देना-लेना निषेध विषय पर हमारे संवाददाता ने लड़की के पिता भगत सुरेश दास जी निवासी मांडला से जब पूछा की इस तरह से लड़के वाले कैसे राजी हुए शादी को तो उन्होंने बोला की हम दोनों वर वधु पक्ष हमारे परम संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य है और ये सारी शिक्षा हमारे गुरूजी द्वारा दी गयी है। हम ना तो किसी प्रकार का व्यसन करते और ना ही किसी तरह की कोई बुराई करते।
ग्राम मांडला की भगतमति ज्योति पिता सुरेश दास एवं इंदौर निवासी भगत राहुलदास पिता फुलसिंगदास ने समाज के सामने इस तरह का विवाह करके एक मिशाल कायम की है। जिससे सैकड़ो की संख्या में उपस्थित रिश्तेदारो और ग्रामीण जनो ने उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की।
इसी तरह से कई शादिया हो चुकी है हमारे मप्र के कई जिलो में। बिना किसी बाहरी आडम्बर के। उद्धेश्य है फिजूलखर्ची को रोकना। जिससे किसी भी पक्ष को आर्थिक और मानसिक तनाव ना हो। साथ ही स्वछ मानव समाज का निर्माण करना उद्धेश्य है।
सन्त रामपाल जी महाराज जी के अनुयाइयो का कहना है की हमारे गुरूजी कहते है की
“जीव हमारी जाती है मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नही कोई न्यारा।।”
इसी तर्ज पर हम किसी भी प्रकार का भेदभाव किये बिना जाती पाती के बन्धनों से मुक्त होकर इस तरह के आयोजन “कबीर परमेश्वर भगति ट्रस्ट” के मार्गदर्शन में करते है । जो वास्तव में एक स्वछ मानव समाज को नई दिशा प्रदान कर रहा है।
इस अनोखे विवाह में सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण जन एकत्र हुए और इस तरह के विवाह को देख अति प्रशन्नता व्यक्त की और संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को सुनने और समझने का संकल्प लिया।
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