जानिये भारत सहित विश्व के 10 मिलियन से ज्यादा सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी बिना किसी रंग गुलाल पानी के केसी होली मनाते है ।

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जानिये भारत सहित विश्व के 10 मिलियन से ज्यादा सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी बिना किसी रंग गुलाल पानी के केसी होली मनाते है ।


ये असली नही नकली होली है । आज हमारा मानव समाज पढा लिखा होने के बावजूद भी बुद्धिहीन हो रहा है,, होरी (होली) का अर्थ ख़ुशी होता है,,रंग खेलना नही,,भांग पीना नही,,शराब पीना नही,, गांजा पीना नही,,जुआ खेलने नही,,!! होली का रंग तो नकली है,,चढ़ के उत्तर जाता है,, रंग में अगर रंगना ही है तो राम रंग में रंगों,, पूर्ण परमात्मा की भगती का रंग चढ़ाओ,, जो एक बार अगर चढ़ जाये तो उत्तरता नही,,आपके जीवन में होली तो तब आएगी जब आप पूर्ण संत के माध्यम से पूर्ण परमात्मा की भगति विधि प्राप्त करोगे,, !!

ये नकली होली है,,मानलो आज रंग गुलाल से होली खेल भी ली और कल आपके घर परिवार में कोई घटना घट गई या किसी की म्रत्यु हो गई,, तो उस होरी का क्या लाभ ,,, !! हमारे जीवन से संस्कार दिनोदिन घटते जा रहे है,, होली के दिन लोग एक दूसरे को तिलक लगाकर गले मिलते है,, और दूसरे दिन उसी व्यक्ति को लूटने की सोचते है,, क्या है ये ?? यही हाल दिवाली का भी है,, झूठे प्रेम का नाटक करते है,,, मै इसे होली नही मानता ,,!!

असली होरी (ख़ुशी) तो हम मनाते है पूर्ण परमात्मा की भगति करते है,, सुमिरन करते है,, प्रणाम करते है,, कोई भगत मिल जाये है तो परमात्मा की चर्चा करते है,,परमात्मा के सत् संग सुनते है,, !!

परमात्मा कहते है,,,
समर्थ का शरणा गहो रंग होरी हो,,,
कदे ना हो अकाज राम रंग होरी जो,,
जैसे किरका जहर का रंग होरी हो,,
कहो कोण तिस खावे  राम रंग होरी हो,,, !!

  • होली अर्थात खुशी सन्त भाषा मे खुशी को होरी भी कहा गया है। 

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खुशी मनाने के लिये विशेष दिन निश्चित नही किया जा सकता खुशी सुख पर आधारित होती है और सुख परिस्थितियो पर और परिस्थितियो का निर्माण प्रारब्ध के कर्मो के आधार पर होता है और प्रारब्ध के कर्म सबके भिन्न होते है तो खुशी का दिन निशचित नही किया जा सकता इससे अलग कुछ लोग इतिहास और संस्कृति की दुहाई देते हुए निशचित दिन पर ही खुशी मनाने का तर्क प्रस्तुत करेगे। यह तर्क देने वाले भी सच से अनभिज्ञ है उस दिन नरसिम्हा रुप मे परमात्मा ने हिरणाकश्यप का वध किया था। लेकिन वह परमात्मा प्रलाद के लिये आया हमारे लिये कैसे और कब आयेगा और यह विधि विधान से जिस दिन हम परिचित हो जायेगे वह समय सुखो की शुरुआत होगी उसके लिये हमे सतगुरु को पहचिन कर उससे नाम दीक्षा लेकर भक्ति करनी होगी जो आज का समाज समझने को ही तैयार नही है फिर होरी कैसे होगी 

परमात्मा को प्रलहाद की भी चिन्ता थी और हमारी भी है वह समय समय पर अपने रुप को सरल करके आता है अपनी पुण्यात्माओ से मिलता है और उनके जीवन का प्रत्येक दिन सुख ,खुशी अथवा होरी का बना देता है अतः आप सब से विनती है कि सन्त को पहचान कर उससे नामदीक्षा लेकर नियमो मे रह कर अपने और अपने समाज को होरी के रंग से सराबोर करे।


बंधुओ इस लोक में जैसे हम सभी आपस में मिलकर रंगों की होली उत्साह के साथ मनाते हैं उसी तरह सतलोक में संत, महापुरष, भक्त और प्रेमी जन राम नाम का रंग चढ़ा कर सदा के लिए होली के उत्सव का आनंद प्राप्त करते हैं |

  •  राग होरी के इस शब्द में गरीबदास जी ने पूर्ण परमात्मा के रंग की होली खेलने वाले संतो, महापुरषों और भक्तों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है | इस एक शब्द को पढ़ने से अनेकों संतो, महापुरषों और भक्तों के नाम उच्चारण का लाभ प्राप्त होता है | आओ हम सभी सच्चे राम (बन्दिछोड़ कबीर साहेब ) रंग की इस होली के उत्सव का रसास्वादन करें |


मन राजा खेलन चल्या रंग होरी हो, 
त्रिबैनी के तीर राम रंग होरी हो |
पांच सखी नित संग हैं रंग होरी हो, 
बरषैं केसर नीर राम रंग होरी हो || १ ||

इला पिंगुला मध्य है रंग होरी हो, 
बीच सुषमना घाट राम रंग होरी हो |
शिव ब्रह्मादिक खेलहीं रंग होरी हो, 
सनकादिक जोहैं बाट राम रंग होरी हो || २ ||

शेष सहंसमुख गांवहीं रंग होरी हो, 
नारद पूरैं नाद राम रंग होरी हो |
हाथ अबीर गुलाल है रंग होरी हो, 
खेलत हैं सब साध राम रंग होरी हो || ३ ||

इंद्र कुबेर वरुण हैं रंग होरी हो, 
धर्मराय ध्यान धरंत राम रंग होरी हो |
चित्रगुप्त चितवन करैं रंग होरी हो, 
कोई न पावै अंत राम रंग होरी हो || ४ ||

ध्रु प्रहलाद जहां खेलहीं रंग होरी हो, 
नारद का उपदेश राम रंग होरी हो |
हाथ पिचकारी प्रेम की रंग होरी हो, 
खेलत हैं हमेश राम रंग होरी हो || ५ ||

जनक विदेही खेलहीं रंग होरी हो, 
बावन गादी व्यास राम रंग होरी हो |
शुकदेव सिंध समूल है रंग होरी हो, 
गगन मंडल में रास राम रंग होरी हो || ६ ||

विभीषन जहां खेलहीं रंग होरी हो, 
रुंमी ऋषि मारकंड राम रंग होरी हो |
विश्वामित्र वशिष्ठ हैं रंग होरी हो, 
खेलैं कागभुशंड राम रंग होरी हो || ७ ||

मोरधज ताम्रधज हैं रंग होरी हो, 
अम्बरीष प्रवानि राम रंग होरी हो |
दुर्वासा जहां खेलहीं रंग होरी हो,
 मिट गई खैंचातान राम रंग होरी हो || ८ ||

गोरख हनु हनोज हैं, रंग होरी हो, 
लछमन और बलदेव राम रंग होरी हो |
भरत अरथ में मिल रह्या रंग होरी हो,
 करै पुरुष की सेव राम रंग होरी हो || ९ ||

बालनीक बलवंत हैं रंग होरी हो, 
बालमीक बरियांम राम रंग होरी हो |
पांचौं पंडौं खेलहीं रंग होरी हो, 
पूर्ण जिनके काम राम रंग होरी हो || १० ||

भरथर गोपीचंद हैं रंग होरी हो, 
नाथ जलंधर लीन राम रंग होरी हो |
जंगी चरपट खेलहीं रंग होरी हो, 
हाथ जिन्हौं के बीन राम रंग होरी हो || ११ ||

नामदेव और कबीर हैं रंग होरी हो, 
पीपा पद प्रवानि राम रंग होरी हो |
रामानंद रंग छिरक हीं रंग होरी हो, 
निरगुण पद निरबान राम रंग होरी हो || १२ ||

सब संतन सिरताज है रंग होरी हो, 
मांझी मुकट कबीर राम रंग होरी हो |
जा का ध्यान अमान है रंग होरी हो, 
टूटैं जम जंजीर राम रंग होरी हो || १३ ||

रंका बंका खेलहीं रंग होरी हो, 
सेऊ संमन साथ राम रंग होरी हो |
कमाल मल्ल मैदान में रंग होरी हो, 
रंग छिरकैं रैदास राम रंग होरी हो || १४ ||

सुजा सैंन बाजीद है रंग होरी हो, 
धन्ना भक्त दरहाल राम रंग होरी हो |
जैदे जगमग ज्योत में रंग होरी हो, 
हाथ अबीर गुलाल राम रंग होरी हो || १५ ||

दत्त तत्त में मिल रह्या रंग होरी हो, 
नानक दादू हंस राम रंग होरी हो |
मानसरोवर खेलहीं रंग होरी हो, 
चिन्ह्या निरगुण बंश राम रंग होरी हो || १६ ||

त्रिलोचन जहां खेलहीं रंग होरी हो, 
खेलै दास मलूक राम रंग होरी हो |
सदन भक्त जहां खेलहीं रंग होरी हो, 
गई जिन्हों की भूख राम रंग होरी हो || १७ ||

कर्माबाई भीलनी रंग होरी हो, 
स्यौरी सिंध समूल राम रंग होरी हो |
अमृत केसर बरषहीं रंग होरी हो, 
संख वर्ण के फूल राम रंग होरी हो || १८ ||

कमल कमाली ले रही रंग होरी हो, 
मीरा गूंदै हार राम रंग होरी हो |
आरता दूलह का करै रंग होरी हो, 
गज मोतियन के थार राम रंग होरी हो || १९ ||

ताल मृदंग उपंग हैं रंग होरी हो, 
बाजत हैं डफ झांझि राम रंग होरी हो |
शंखा झालरि बाजहीं रंग होरी हो, 
खेलो तन मन मांजि राम रंग होरी हो || २० ||

मुरली मधुर धुंनि बाजहीं रंग होरी हो, 
रणसींगौं की टेर राम रंग होरी हो |
अनहद नाद अगाध हैं रंग होरी हो, 
शहनाई और भेरि राम रंग होरी हो || २१ ||

गायन संख असंख हैं रंग होरी हो, 
कहां कहूँ उनमान राम रंग होरी हो |
कहन सुनन की है नहीं रंग होरी हो, 
देखे ही प्रवान राम रंग होरी हो || २२ ||

आदि अंत आगे रहै रंग होरी हो, 
सूक्ष्म रूप अनूप राम रंग होरी हो |
गरीबदास गलतांन है रंग होरी हो, 
पाया सत सरूप राम रंग होरी हो || २३ ||

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LORD KABIR

 


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Banti Kumar
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