बाबा फरीद (हजरत ख्वाजा फरीद्दुद्दीन गंजशकर – حضرت بابا فرید الدین مسعود گنج شکر) की जीवनी | Sant Rampal Ji Maharaj

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एक शेख फरीद (हजरत ख्वाजा फरीद्दुद्दीन गंजशकर) नाम के मुसलमान संत थे, भक्त थे। वो बचपन में काफी शरारती था। और उसकी माता जी प्रतिदिन नमाज़ करने को कहती थी, वो नहीं करता था, मानता नहीं था। वो कहता था कि मुझे अल्लाह से क्या मिलेगा? मैं क्यों करूँ नमाज़? एक दिन माँ ने कहा कि अल्लाह तुझे खजूर देगा। अब शेख फरीद जी को खजूर बहुत प्रिय थे। वो उसका मनपसंद फल था। वह कहने लगा – सचमुच। माँ ने कहा – हाँ। शेख फरीद ने कहा कि देख लो, अगर अल्लाह ने खजूर नहीं दिए तो मैं कभी नमाज़ नहीं करूँगा। माता ने कहा -अवश्य देगा बेटा। वो यह चाहती थी कि ये किसी तरह शरारत से पीछा छोड़ दे, नमाज़ तो इसे क्या करनी आएगी। और मैं अपने काम कर लिया करुँगी। बहुत उलाहने आते हैं।

माता ने क्या किया कि एक चद्दर बिछाई, और कहा कि बेटा, जब तक मैं न कहूँ तब तक आँख नहीं खोलनी। और ऐसे विधि बता दी कि ऐसे लेट कर मत्था टेकना है। शेख फरीद ने कहा कि क्या कहूँ माँ ? माता ने कहा कि ये कहता रहियो कि – अल्लाह मुझे खजूर दे, अल्लाह मुझे खजूर दे। शेख फरीद यही करता रहा – अल्लाह मुझे खजूर दे। माँ अपने काम में लग गयी। उसकी माँ ने क्या किया कि थोड़े से खजूर ला कर, 4-5 खजूर एक पत्ते में लपेट कर जहाँ वो चद्दर बिछा राखी थी, उसके नीचे रख दिए। जब माँ का काम हो लिया तो उसने कहा कि बेटा अब उठ ले। माँ ने सोचा की अब यह कोई शरारत करेगा तो मैं इसे पकड़ लाऊंगी, बिठा लुंगी। शेख फरीद उठा, उसने देखा कि कहीं खजूर तो है ही नहीं। तो वो चल पड़ा और कहने लगा कि माँ तू तो बहुत झूठी है। आप कह रहे थे कि अल्लाह तुझे खजूर देगा। पर अल्लाह ने तो खजूर नहीं दिए। अब आज के बाद मैं कभी नहीं करूँगा नमाज़। माँ बोली बेटा, अल्लाह ऐसे सबके समक्ष थोड़े ही न दिया करता है। वो तो गुप्त रूप से दिया करता है। जिस कपडे के नीचे तू नमाज़ कर रहा था, देख उसको उठा कर। उसने उठा कर देखा कि एक पत्ते के अंदर 4-5 खजूर थे। वो उन्हें खाए और कूदे। जब शेख फरीद ने खजूर खा लिए तो थोड़ी देर बाद बोला कि माँ अब बता नमाज़ कब करनी है।

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Banti Kumar
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