अथ राग केहरा | दृष्टि परै सो धोखा रे, खंड पिंड ब्रह्मण्ड चलैंगे, थीर नहीं रहसी लोका रे | GaribDas Ji Shabad | Sant Rampal Ji | BKPK VIDEO
।।अथ राग केहरा।। ।। शब्द 02 ।। दृष्टि प…
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।।अथ राग सारंग।।मन मानसरोवर न्हान रे। ज…
क्या कहता है पाक कुरआन? बिस्मिल्लाहिर्र…
इस दुनिया में किस बात की खुशी मनाएं? | …
परमात्म नेहारे, हंसा मेरे देह बिदेहा रे…
निरबांन निरंजन चीन्हि भईया | हिंदी लिरि…
और बात तेरे काम ना आवै हिंदी लिरिक्स | …
गरीबदास जी के ग्रन्थ साहेब से अथ सुख सा…
ए जी ए जी साधो, सारशब्द मोहे पाया | नाम…