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दयानंदभाष्य खंडनम् – दयानन्द की मुर्खता की पोल-खोल (भाग-05)

दयानंदभाष्य खंडनम् (महाधुर्त दयानंद) जब लाखों करोड़ों धुर्त मरते है तब कहीं जाकर एक महाधुर्त पैदा होता है । भारत के इतिहास में आज तक इतना बड़ा धुर्त किसी ने नहीं देखा दयानंद ने मेक्समूलर के भाष्य को Copy कर…

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महर्षि दयानन्द : मुर्खता की हद – दयानन्द की पोल-खोल (भाग-11)

सत्यार्थ प्रकाश तृतीया समुल्लास का सच  दयानन्द जी लिखते हैं कि-  “षट्त्रिशदाब्दिकं चर्य्यं गुरौ त्रैवैदिकं व्रतम्। तदिर्धकं पादिकं वा ग्रहणान्तिकमेव वा ॥  -यह मनुस्मृति [३/१] का श्लोक हैं॥ अर्थ-आठवें वर्ष से आगे छत्तीसवें वर्ष पर्यन्त अर्थात् एक-एक वेद के सांगोपांग…

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