मन तूं सुख के सागर बस रे | Garibdas Ji Shabad by Sant Rampal Ji Maharaj
मन तूं सुख के सागर बसि रे, और न ऐसा जस …
मन तूं सुख के सागर बसि रे, और न ऐसा जस …
मन मगन भया जब क्या गावै।।टेक।। ये गुन इ…
जिन तेरा पिंड प्राण बनाया, उस साहेब से …
म्हारे सतगुरु दे रहे हेला रे, सतनाम सुम…
Dhan-Dhan Satguru Sat Kabir Shabad in 4…
सुरति निरति सें झीनां कछू नजरि न आवै,पट…
यौह सौदा फिरि नाहीं संतौ, यौह सौदा फिरि…
Open Challenge | संत रामपाल जी महाराज क…
Open Challenge | संत रामपाल जी महाराज क…
आ जा बन्दे शरण राम की | Aaja Bande Shar…