इस्लाम में अल्लाह साकार है उसका नाम कबीर हैं ।
तोरेत, जबूर और इंजील और कुरानशरीफ ये मुसलमान भाईयो की 4 कतेब है जैसे हिन्दूओ के 4 वेद हैा..
तोरेत पैदाइश 1:25-2:12
आयत- 26 खुदा ने कहा हम इंसानो को अपनी सुरत के अनुसार बनाये …
आयत- 27 तब खुदा ने इंसानो को अपनी सुरत के अपनुसार पैदा किया नर और नारी करके इसानो को बनाया…
इससे साबित होता है वह अल्लाह हमारे जैसी सुरत का है मतलब साकार हैा क्योकि उसने हमे अपनी सुरत के जैसा बनाया हैा…..
आजान:-
अरबी – अल्लाह हु अकबर , अल्लाह हु अकबर
अकबर का अर्थ बडा होता है… कबीर का अर्थ बडा होता…
अकबर कबीर दोनो एक ही नाम है.. कबीर का बिगडा हुआ शब्द अकबर बना रखा हैा…
अल्लाह हु अकबर की जगह हम अल्लाह हु कबीर भी बोल सकते हैं, क्योकि कुरान शरीफ मे सुरत फुरकान 25 आयत 59 मे लिखा है जिसने आसमान और धरती के बीच सब कुछ छह दिन मे पैदा किया वह अल्लाह कबीर हैं ।
इसलिए हम अल्लाह हु कबीर बोल सकते हैं ।
अरबी – अल्लाह हु कबीर……
गलत अर्थ – अल्लाह बडा हैा..
सही अर्थ – अल्लाह कबीर हैा.
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नोट- जैसे वेदो मे कविर का अर्थ संस्कृत विद्वानो ने सर्वज्ञ किया हैा वैसे ही मुसलमान भाईयो ने कबीर का अर्थ बडा किया हैा जो की गलत है… क्योकि यहा कविर और कबीर ये परमात्मा के नाम है नाम किसी का भी हो किसी भी भाषा मे उसका अनुवाद नही होता.. नाम ज्यो का त्यो लिखना पडता हैा…
( जैसे – Honey eats the food.
हिन्दी – हनी खाना खाता हैा
Honey का अर्थ शहद होता हैा अगर हम इसका अनुवाद ऐसे करते — शहद खाना खाता हैा.. तो गलत होता..
यहा हनी नाम है नाम का अनुवाद नही होता । )
मानव शरीर को पाने के लिए देवता भी तरसते है :-
क्योकि मानव शरीर मे ही आत्मा मोक्ष को प्राप्त
कर सकती हैा मानव शरीर मे कमल बने हुए है योगी जिनको चक्र बोलते हैा इनको केवल सात कमलो का ज्ञान होता
हैा..
1.मूल कमल(चक्र) –
इसमे गणेश जी का वास होता हैा यह चार पखुडिया का होता हैा फोटो मे देख सकते हो यह रीढ की हडडी के अन्त मे अन्दर की तरफ गुदा के पास होता हैा
2. स्वाद कमल-
इसमे ब्रह्मा सवित्री का वास होता हैा इसमे छह पखुडिया होती हैा यह रिढ की हडडी मे अन्दर की तरफ गुप्तइंद्री के पास होता हैा
3.नाभिकमल-
इसमे विष्णु लक्ष्मी जी का वास होता हैा.. इसमे आठ पंखुडिया होती हैा यह नाभि के पास पीछे रीढ की हडडी मे अन्दर की तरफ होता हैा
4. हदयकमल-
इसमे शिव पार्वती का वास होता हैा इसमे बारहा पखुडिया होती हैा यह हदय मे पीछे रीढ की हडडी मे अन्दर की तरफ होता हैा..
5. कंठकमल –
इसमे दुर्गा देवी का वास होता हैा इसमे सोलहा पंखुडिया होती हैा यह कंठ मे पीछे रीढ की हडडी मे अन्दर की तरफ होता हैा
6.त्रिकुटी कमल-
यह दो पखुडियो का कमल होता है काला और सफेद सुरत निरत से जाप .. यह सर के पीछे जैसा फोटो मे दिखाई दे रहा हैा
7. संहास्रार कमल-
यह हजार पखुडियो का होता हैा इसमे ब्रह्मा विष्णु शिव के पिता काल निरजन ब्रह्म का वास होता हैा.. जहा ब्रह्मांण चोटी रखते है वहा होता हैा
आगे आठवा और नौवा कमल ओर होता है वह इस शरीर मे मौजूद नही है क्योकि इस शरीर मे एक ब्रह्मांड का ही नक्शा बना हुआ हैा आठवा और नौवा कमल काल के 21 ब्रह्मांडो को पार करके आता हैा
इनको केवल सात कमल और दस द्वारो का ज्ञान होता हैा.. दसवा द्वार को सुष्मना द्वार भी बोलते हैा शरीर के नौ द्वार प्रत्यक्ष दिखाई देते हैा दसवा द्वार नाक के दोनो छिदो के बीच मे उपर की तरफ खुलता हैा जो सुई की नोक जितना होता हैा वह मंत्रो के जाप से खुलता हैा दसवे द्वार मे आगे चलकर त्रिकुटी आती हैा इनकी समाधी केवल त्रिकुटी तक ही जा सकती हैा.. जब इनका शरीर छुटता है तो ये त्रिकुटी पर जाते हैा त्रिकुटी पर तीन रास्ते हो जाते हैा मोक्ष का रास्ता सामने वाला होता है जिसको ब्रह्मरंद्र बोलते हैैा इन योगी साधु पंडित ऋषियो के पास वह सतनाम का मंत्र नही होता जो उस
ब्रह्मरंद्र को खोलकर ग्यारवे द्वार मे प्रवेश करवाता हैा..
इसलिए ये सामने वाले ब्रह्मरंद्र को न खोल पाने के कारण दाए और बाये अपनी अपनी भक्ति के कारण जिसने जिस इष्ट की साधना की है । ये उसी के लोक मे चले जाते हैा अपने पूण्यो को खर्च करके फिर अपने पापो को भोगने को के लिए
नरक और लाख चौरासी मे जाते हैा फिर कभी मानव जीवन मिलता है भक्ति की तो स्वर्ग वरना नरक. देवी पुराण मे लिखा है ।