आ चुका जगत का तारणहार
कबीर सागर( बोध सागर -स्वसमवेद)पृष्ठ 171 से ।
दोहा-
पाँच सह्रस अरु पाँचसो, जब कलियुग बित जाय ।
महापुरुष फरमान तब , जग तारन को आय ।।
हिन्दु तुर्क आदिक सबै , जेते जीव जहान ।
सतनाम की साख गहि , पावैँ पद निर्बान ।।
यथा सरितगण आप ही , मिलैँ सिँन्धु मेँ धाय ।
सत सुकृत के मध्ये तिमि, सबही पंथ समाय ।।
जबलगि पूरण होय नहिँ , ठीके को तिथि वार ।
कपट चातुरी तबहिलोँ , स्वसमवेद निरधार ।।
सबहिँ नारि नर शुध्द्र तब , जब ठीक का दिन अंत ।
कपट चातुरी छोड़ि के , शरण कबीर गंहत ।।
एक अनेक से हो गये , पुनि अनेक हो एक ।
हंस (जीव आत्मा) चलै सतलोक सब , सत्यनाम की की टेक ।।
घर घर बोध विचार हो , दुर्मति दुर बहाय ।
कलियुगमेँ एक हो सोई(सब), बरते सहज सुभाय ।।
कहा उग्र छुद्र हो , हर सबकी भवभीर ।
सो समान समदृष्टि हो, समरथ सत कबीर ।।
विषेश विचार –सन 2000 मेँ ईसा जी के जन्म को 2000 वर्ष बीत गए ।इससे 508 वर्ष पुर्व आध शंकराचार्य जी का जन्म हुआ । इन्की पुस्तक “हिमालय तीर्थ” के अनुसार कलयुग 3000 वर्ष बीत जाने पर आध शँकराचार्य जी का जन्म हुआ ।इस प्रकार सन 2000 को कलयुग (3000+2000+508)5508 वर्ष कलयुग बीत चुका है।
सन 2000 कलयुग 5508 वर्ष बीत चुका है और
सन1997 मेँ कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है ।
जब कलयुग का समय 5500 वर्ष बीत जाऐगा उस
समय महापुरुष विश्व कल्याण के लिए प्रकट होगा । वो सतनाम(दो अक्षर का मँत्र) को प्रदान करेगा उसके ज्ञान से
प्रेरित होकर सभी धर्मो के अनुयायी एक होगे ।
सतनाम का जाप कर मोक्ष प्राप्त करेँगे।
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