18 Nov. 2014 का वो काला दिन
कुछ दिनों पहले सतलोक आश्रम की गुंज विश्व के कोने कोने में सुनाई दे रही थी, मिडिया ध्दारा बताये गये काले सच को सुनकर हर कोई के मुंह से निकल रहा था कि आजकल बाबागिरी कर लोगों को मुर्ख बनाया जा रहा है और सत्य भी है कि ज्यादातर धर्म के नाम पर कमाई की फैक्ट्री चलाते हैं, लेकिन संत रामपाल जी के सत्संग में माया रुपी जाल में नहीं फंसने की बात कही है!
आइये जानते हैं सतलोक प्रकरण क्या है
संत रामपाल जी ने कबीर पंथी गुरु रामदेवानंद जी से गुरु दीक्षा ग्रहण कर सन 1997 से घर घर, गांव गांव जाकर सत्संग पाठ प्रारंभ किया
Barwala Kand 2014 ‘The Black Day’
बरवाला कांड की सच्चाई – सतलोक आश्रम बरवाला, हिसार November 2014. पुलिस की क्रूरतापूर्ण कार्यवाही जिसमे 6 जाने गयी और हजारों घायल हुये।
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उनके भक्त बताते हैं कि रामपाल जी की पूर्ण ब्रम्ह ध्दारा ज्ञान प्राप्त हुआ और वे सभी हिन्दू धर्म के वेद, शास्त्रों, श्रीमद् गीताजी एवं कुरान, बाइबिल ऐसे सभी धर्मग्रंथों का प्रमाण देकर सही भगवान् भक्ति क्या है ये सब अपने सत्संग में बताने लगे, तब हरियाणा में अपना ज्ञान प्रचार करते हुए उन्होंने लगभग हर धर्म, पंथ (ब्रम्ह कुमारी, राधास्वामी, आसाराम आर्य समाजी ) की पूजा पध्दति, अंधविश्वासी परंपरा को शास्त्र विरुद्ध बताते हुए कहा कि सबका मालिक एक है उसे प्राप्त करने का भक्ति मार्ग भी एक ही है, ये हजारो धर्म, पंथ मनुष्य को सत् भक्ति से भटकाने का मायाजाल है, सभी को धर्म विरुद्ध ज्ञान बाट रहे हैं और मानव तन प्राप्त लोगों को गलत भक्ति देकर 84 लाख योनियों में भटकाने का कार्य कर रहे हैं, जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं मारते पर मेरा घर (ज्ञान ) मजबूत शास्त्र प्रमाणित है ओर इन कच्चे घर (शास्त्र विपरित ) में भाग्यशाली मानव जीवन को बेकार नहीं होने दुगा,
इस तरह आर्य समाज बहुल क्षेत्र हरियाणा में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा दिया गया ज्ञान एवं उनके ध्दारा रचित ग्रन्थों ओर “सत्यार्थ प्रकाश ” जिसमें लिखा है कि 1.किसी स्त्री का पति मर जाये तो उसे पुनः विवाह नहीं करना चाहिए पाप होता है, विधवा स्त्री को पति के ही खानदान में देवर, जेठ हो से ही विवाह कर लेना चाहिए, और किसी स्त्री का पति कमाने बाहर गया हो और तीन साल तक वापस नहीं आता तो स्त्री को चाहिए कि वह किसी अन्य व्यक्ति से समागम कर बच्चे पैदा कर ले और पराये आदमी के बिना उस बच्चे का पालन करना चाहिए तो वह पति की ही संतान कहलायेगी, और संत रामपाल जी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी में वर्णित साक्ष्य देकर बताया कि वह स्वयं नशा आदि करते थे और अपने जीवन के अंतिम दिनों में भुत बाधा एवं कई जटिल बीमारियों की वजह से पापकर्म भुगत कर तङप – तङप कर मृत्यु को प्राप्त हुए, ऐसे महर्षि जो स्वयं दुर्गति को प्राप्त हुए हो तो उनके अनुयायियों को कैसे सद्गति मिल सकती है, ऐसे ही हिन्दु धर्म की आडम्बरी पूजा पध्दति व्यर्थ बताकर कहा की जो शास्त्र के विपरीत पूजा करते हैं वे महा मुर्ख है जो गीता जी में स्वयं गीता ज्ञान दाता ने कहा है
उन्होंने बताया कि अनादि काल में सनातन धर्म में मुर्ति पूजा नहीं होती थी मुर्तियां अपने गुरु एवं ईष्ट भगवान् की याद के लिए बनवाते थे और उन्हें उनके ज्ञान का प्रभाव बना रहे, जेसै कोई वैध (डाक्टर ) जीवन काल में सही जानकारी एवं उपचार देता है और उसके मरने के बाद याद के लिए मुर्ति स्थापित कर दिया जाता है मुर्ति इलाज तो नहीं करेगी पर उसे देखकर उसके बताये ज्ञान का याददाश्त जीवित होती है,
भगवान् सर्व व्यापक है लेकिन लोग जगह-जगह मंदिर बनाकर लाखों रुपये का चढ़ावा प्राप्त करते हैं गणेश , दुर्गा उत्सव में मुर्तियां लाकर काल ध्वनि (संगीत, डीजे ) में व्यसनयुक्त होकर नाचगान करते हैं ऐसे कर्मो से पापकर्म बढता है,
पितृपुजा के सम्बन्ध में भी बताया कि हमारे पूर्वज जो संस्कृत या वेदों को पढ नहीं सकते थे, वे ब्राम्हण के ऊपर पूर्ण निष्ठा रखते थे लेकिन ब्राम्हण या तो अधूरे ज्ञान के साथ या स्वार्थ वस जो अनावश्यक पूजा करवाते वही सत्य मानकर करते रहे परअब हम शिक्षित हुए तो पता चला कि जो पूजा पध्दति समाज में व्याप्त है वह शास्त्र विरुद्ध है एवं पापकारी है इसलिए हमारे पूर्वज उटपटांग बताये कर्म करते हुए अपने कर्मानुसार पितृ लोक, नर्क, पशु योनि, या अन्यत्र में चले गए और हम भी पितृ पूजा करते हैं तो उन्हीं के पास जायेगे, जिससे हमारा मोक्ष नहीं होगा ना ही हमारे पूर्वजों का भला होगा, लेकिन यदि हम सत् भक्ति करते हैं तो हम काल लोक से मुक्त हो कर मोक्ष को प्राप्त करेंगे और हमारे पूर्वज भी हमारी भक्ति के प्रभाव से पुनः मनुष्य जन्म लेकर भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करते हैं,
इस ब्रम्हांड का मालिक काल ब्रम्ह (ज्योति निरंजन ) है जो ऐसे 21 ब्रम्हांडो का मालिक है और वह निराकार (बिना आकार) रहता है जिसकी पत्नी अष्टांगी (दुर्गा) है उनके तीन पुत्र ब्रम्हा (रजोगुण), विष्णु (सतगुण) और शकंर जी (तमोगुण) है, काल ब्रम्ह ने ही श्रीकृष्ण जी के शरीर में आकर विराट रूप दिखा कर गीताज्ञान कहा था और अर्जुन से कहा कि मै ही काल हु, और ये मेरा रुप तेरे अलावा ना किसी ने देखा है ना देखेगा ! क्यों कि श्रीकृष्ण जी विष्णु अवतार थे और वे चार भुजाओं वाले हैं और अपना विराट रूप कोरवो की सभा में बता चुके थे, श्रीकृष्ण जी सतगुणी है, लेकिन अर्जुन को सहस्त्रबाहु (हजार भुजा वाला) महाकाल रुप दिखाया था, भगवान् काल ब्रम्ह तप कर रहे राक्षसों को ब्रम्हा, विष्णु और कभी शिव के रूप में प्रगट होकर वरदान दे देता है और फिर आकाशवाणी कर देवताओं को वरदान का निदान बताता है, कंस को आकाशवाणी ध्दारा श्रीकृष्ण अवतार की जानकारी भी काल ब्रम्ह ने दी थी,
आगे बताया गया है कि देवी देवताओं की तो क्या तीन देव (ब्रम्हा, विष्णु और महेश) की पूजा नहीं कि जानी चाहिए,इसका श्रीमद् गीता जी में स्पष्ट रूप से प्रमाण है और जो ऋषि – मुनि, संत – शंकराचार्य इस ब्रम्हांड के मालिक को निराकार और सर्वस मानकर उपासना करते हैं, जबकि पुर्ण ब्रम्ह (परमात्मा) जो असंख्य ब्रम्हांडो के मालिक हैं सशरीर आकर चार वेद के बाद जो पांचवा वेद है जो कि पुर्ण परमात्मा के बारे में बताता है और काल भगवान् ने छूपा रखा है उसका ज्ञान स्वयं बताकर सशरीर वापस चले जाते हैं उस पुर्ण परमात्मा को कलयुग में कबीर साहेब के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने कमल के फूल पर अवतरित हो कर तीन करोड़ अध्दितिय शब्दों में सुक्ष्म ज्ञान देकर काल लोक से मुक्त होने का रास्ता दिखा दिया है
अतः काल ब्रम्ह, तीनों देव और सभी देवी देवता हमारे लिए आदरणीय अवश्य है पूज्यनिय सिर्फ एक ही है पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब,
उदाहरण जैसे परिवार में एक बहु अपने सास – ससुर, जेठ-देवर, ननद आदि सभी को आदरणीय मानती है पर पूज्यनिय (पूजा के योग्य) सिर्फ पति होता है इसलिए पूजा सिर्फ पुर्ण परमात्मा कबीर साहेब की करना चाहिए
पूजा विधान का एक और उदाहरण हैं कि जैसे एक पेड़ है उसकी जड मानों “पुर्ण परमात्मा” तना “काल ब्रम्ह”, शाखाएं “तीन देव” और टहनियां “सभी देवी – देवता, हमें जड़ से होते हुए फल टहनी में लगेंगे और हमें प्राप्त होगे, इसलिए हमें जड़ (पुर्ण परमात्मा) में ही पानी (भक्ति) डालना ही हमारी अक्लमंदी होगी और पुर्ण पेड़ की ईज्जत करनी होगी और हम सभी पुर्ण परमात्मा रुपी एक ही पेड़ के पत्ते है और हम मानव है इसलिए हमारा एक ही धर्म है “मानव धर्म” है और एक ही मालिक है पूर्ण ब्रम्ह कबीर साहेब जी
इस तरह बहुत सी बातें बताते हैं (विस्तृत जानकारी के लिए “ज्ञान गंगा” पुस्तक देखें और इंटरनेट पर वेबसाइट और YouTube पर सत्संग देख सकते हैं)
इन्ही बातो से प्रारंभ हुआ ये प्रकरण जो इस प्रकार है
संत रामपाल जी ध्दारा प्रमाणित सत्संग सुनकर अनुयायियों की तादाद लगातार बढ़ने लगी, सन 2003 के आसपास गांव करोंथा (रोहतक, हरियाणा) में एक आश्रम प्रारंभ किया गया दिनों दिन भक्तो की संख्या बढने लगी, उनके सत्संग से आर्य समाजी आदि धार्मिक कट्टरपंथी भड़क गए और 2006 में आश्रम में जहाँ सत्संग चालू था 10से 15 हजार आर्य समाजीयो ने हथियारों से लैस होकर संत रामपाल जी को मारने के लिए हमला कर दिया मौके पर पुलिस बुलाई गई, हमलावरों एवं पुलिस के बीच झड़प हुई, इसमें हमलावरों के तरफ के एक युवक की मौत हो गई, जिसके बाद आर्य सामाजियो ने हत्या का आरोप संत रामपाल जी पर लगा दिया, स्पष्ट था कि पुरी गलती हमलावरों की थी फिर भी आश्रम के सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर केस दर्ज कर सकते थे, लेकिन पुरे प्रशासन में आर्य समाज के लोग एवं मुख्यमंत्री भी आर्य समाजी होने से संत रामपाल जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया,
रामपाल जी को न्यायपालिका पर भरोसा था पर कहते हैं कुछ जज भी भ्रष्ट थे और बिना किसी गुनाह के 21 माह जेल में बंद रह कर बमुश्किल जमानत पर रिहा हुए जब जेल से बाहर आये तो हरियाणा सरकार ने उनका आश्रम भी अपने कब्जे में ले लिया, आश्रम नहीं मिलने पर संत रामपाल जी के भक्तों ध्दारा नया बरवाला में आश्रम का निर्माण कर सत्संग शुरू किया गया,
कहा जाता है कि दुर दराज से आने वाले रामपाल जी के भक्तों के ऊपर स्थानीय लोग आश्रम ना जाने का दबाव बनाते और मारपीट करते, इसी से परेशान हो कर आश्रम ध्दारा स्वयं की 50 से ज्यादा बसों का इंतजाम कर रेल्वे,बस स्टैंड से भक्तों को लाने ले जाने का मुक्त प्रबंध किया गया, आश्रम शहर से दूर बनाया गया था इसलिए भक्तो के लिए निशुल्क प्राथमिक उपचार केन्द्र, सोने रहने के लिए बिस्तर, मुक्त खाना, स्वयं का गोशाला चलाकर दुध, घी की भरपूर व्यवस्था की गई थी, आश्रम में 1 से 1.5 हजार परिवार एवं हजारों अनाथ बच्चे बूढे और महिलाएं रहा करती थी वहाँ पर मर्यादा में रहना सर्व प्रथम प्राथमिकता है,
नामदान (गुरु दीक्षा) हेतु नियम है कि आजीवन असभ्य भाषा नहीं बोलना, किसी तरह का नशा, मांसाहारी, झूठ, निंदा, जाति धर्म का भेद भाव, ईर्ष्या, जलन, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, भ्रष्टाचार, दहेज लेनदेन अनावश्यक मुर्ति पूजा, अंधविश्वासों को नहीं करना है, ये सब नये भाविको को समझाया जाता है और मान्य है तो उसे गुरु दीक्षा दी जाती है,
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इस तरह आखों के काटा बने संत रामपाल जी को करोंथा केस में अदालत में पेश होने जाना पड़ता था, जुन 2014 में रामपाल जी कोर्ट तारीख पर अदालत गये थे तब एक नशे में चूर वकील रामपाल जी के निकट पहुँचकर अभद्र गालीगलौज एवं मारने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद भक्तो ने उसे पकड़कर बाहर निकाला, लेकिन इसी का मुद्दा बना कर चंडीगढ़ हाइकोर्ट में संत रामपाल जी एवं भक्तो पर वकील से मारपीट का आरोप लगाया गया जिस पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रामपाल जी को पेश करने का आदेश जारी कर दिया, बिना वजह आदेश से सभी भगत हतप्रभ रह गए और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रपति को हजारों प्रतियां भेजकर CBI जाच का अनुरोध किया गया लेकिन कोई आश्वासन ना ही कोई जवाब दिया गया,
Letest cbi investigation demand for barwala kand on twitter click & View
भक्तो ने कहा कि जब छोटे छोटे मामले में CBI जांच हो सकती है तो हमारी क्यों नहीं, और सरकार से कहा कि जब तक आश्वासन नहीं मिलता हम अपने गुरुजी को नहीं भेजेंगे, भक्तो को लगा कि सरकार पर दबाव बनाने से हमें CBI जांच से न्याय मिल सकता है और इसी उम्मीद में अपनी गुरु की बेगुनाही के लिए भक्तों ने अदालत में उस समय स्वास्थ्य खराब चल रहा था उसका भी सरकारी सर्टिफिकेट भेजा पर जजो ने गैर जमानती वारंट पर वारंट जारी कर दिया, जेसै कोई आतंकवादी हो, 50 हजार पुलिस और सेना भेज दी गई, स्थानीय आर्य समाजी लोग आश्रम में घुस गए, पुलिस से भिड़ंत हो ऐसी योजना आर्य समाजीयो ने कर आश्रम में मौजूद भक्तो से कहा कि प्रशासन झुक जायेगा, बाहर मत जाना, इधर पुलिस ने आश्रम की पानी, बिजली, खाद्यान्न आपूर्ति बंद कर दिया, किसी राजनीतिक दल से सम्बंध नहीं होने से कार्यवाही बढती गई और 18 नवम्बर को पुलिस, सेना ने आश्रम पर धावा बोल दिया, दिन 12 बजे से शाम 4 बजे तक अश्रु गैस के गोले दागे गए, बीपी, दम श्वास वाला व्यक्ति यदि 15 मिनट भी अश्रु गैस के प्रभाव में रहे तो वह मर सकता है, क्या प्रशासन को मालूम नहीं था कि आश्रम में बीमार, बूढे बच्चे है, फिर क्यों 4 घण्टे तक लगातार अश्रु गैस छोड़ते गये, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और हत्या का आरोप रामपाल जी पर लगा दिया है ये सब देख रामपाल जी ने सरेण्डर कर दिया जब वे गिरफ्तारी देने आश्रम से बाहर आये तो उनके पिछे हजारो लोग निकलकर नाचने लगे, कुछ पुलिस वाले भी नाच रहे थे, ये सब TV पर लाइव प्रसारण मे सभी ने देखा
कुछ फुटेज
आश्रम में कार्यवाही के दौरान वहां धारा 144 लगी हुई थी लेकिन तब भी आर्य समाजी आश्रम की दीवारों पर चढते देखे गए और मीडिया, पुलिस वालों को लस्सी, नाश्ता बाटते रहे,
ये सब देख भारी षड्यंत्र होने का पता चलता है,
इस दौरान आश्रम से वापस लौटे लोगों ने बताया कि पुलिस वालों ने महिलाओं से गहने छिन लिए, वृद्धों को खेतों में ले जा कर छोड़ दिया, पुरुषों को मुह पर जुते भरे लातों से मारा गया मोबाइल, पैसे छीन लिया गया, हवालात में लिये गये लोग जो नेपाल व दूसरे राज्यों से हजारों रुपए लेकर आये थे, उनसे 10-15 हजार रुपए लेकर जब्ती में 1000 – 500 लिख दिए हैं,
रामपाल जी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया आश्रम में दाखिल हुई कुछ मिडिया चैनलों ने संडास साफ करने के फिनाइल को एसिड बम, निर्माण कार्य में लगे ईटों को हमले के पत्थर, बाथरूम के बाहरी दीवार पर लगे कैमरे को ऐसा बताया जैसे वह कैमरा दिवार के पार की फोटो लेता हो, 1 प्रेग्नेंसी किट बताया गया वह भी किसी पत्रकार की करतूत थी पर जहां पर रामपाल जी के दो बेटे बहू, दो बेटियां, दामाद, नाती हजार परिवार रहते हो वहां ये कोई आपत्ति जनक कैसे हो सकती है, सिर्फ़ एक बाथरूम सुविधा युक्त जिसका इस्तेमाल पुरा परिवार करता था उसे बढा चढ़ा कर पेश किया, स्विमिंग पूल जो सिर्फ गर्मी में तैरने वाले लोगों के लिए बनाया गया था इसमें क्या बुराई है, हथियार बताया जो आर्य लोगों के बार बार हमले की वजह से लाइसेंसी रखे गए थे और उनका इस्तेमाल भी नहीं हुआ था, और बहुत कुछ मसालेदार कहानी बनाकर मिडिया ने लोगों को परोसा, लेकिन जब आश्रम में 50 लाख की राशन सामग्री, 40 लाख का सिर्फ घी, और रामपाल जी के खाते में 10-12 लाख रुपये ही मिले, SIT जाच में कुछ भी अवैध नहीं मिला तो मिडिया ने सच बताने के लिए जबान पर ताला लगा दिया है ऐसा क्यों कि किसी को भी घिनौना बनाकर छोड दिया,………..
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