निर्विकार, निर्भय है तू ही, और सकल भय माहीं।
Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj |
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
संध्या सुमिरन आरती,
भजन भरोसै दास।
हे जी साधो, भजन भरोसै दास।।
मनसा, वाचा, करमणा,
मनसा, वाचा, करमणा,
जब लग घट मै सांस।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
सांस सांस मै नाम जपो,
बिर्था सांस मत खोओ।
हे जी साधो, बिर्था सांस मत खोओ।।
बेरा ना इस सांस का,
बेरा ना इस सांस का,
आवण हो अक ना हो।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
सांसों की करो सुमरनी,
करो अजपा का जाप।
हे जी साधो, जपो अजपा जाप।।
परमतत्व का ध्यान धरो,
तुम परमतत्व का ध्यान धरो,
वो सोहम आपो आप।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
सोहम पूरा पवन मै,
बांध्या मेर सुमेर।
हे जी साधो, बांध्या मेर सुमेर।।
ब्रह्म गांठ हृदय धरो,
ब्रह्म गांठ हृदय धरो,
इस विध माला फेर।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
माला है निज सांस की,
फेरैंगें निज दास।
हे जी साधो, फेरैंगें निज दास।।
चौरासी भरमै नहीं,
चौरासी भरमै नहीं,
कटै करम की फांस।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
सतगुरू मोहे निवाजियो,
दिजो अंबरबोध।
हे जी साधो, दिजो अंबरबोध।।
शीतल शबद कबीर का,
शीतल शबद कबीर का,
यू हँसा करै किलौल।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
हँसा मत डरियो काल से,
करो मेरी परतीत।
हे जी साधो, करो मेरी परतीत।।
अमर लोक पहुँचाहियू,
अमर लोक पहुँचाहियू,
चलो सुभवजल जीत।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
भवजल मै बहु काग हैं,
कोए कोए हंस हमार।
हे जी साधो, कोए कोए हंस हमार।।
कहै कबीरा धर्मदास से,
कहै कबीरा धर्मदास से,
उनका खेवा उतारूँ पार।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।
अविनाशी की आरती,
गावै सतकबीर।
हे जी साधो, गावै सतकबीर।।
कहै कबीर सूर, नर, मुनि,
कहै कबीर सूर, नर, मुनि,
कोए ना लागै तीर।
निर्विकार, निर्भय।।
निर्विकार, निर्भय है तू ही,
और सकल भय माहीं।
हे जी साधो, और सकल भय माहीं।।
सब पै तेरी साहिबी,
सब पै तेरी साहिबी,
तुझ पर साहिब ना।
निर्विकार, निर्भय।।