राधास्वामी पन्थ का मुखिया शिवदयाल बना भुत, नही हुई मुक्ति।

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राधास्वामी पन्थ का मुखिया 

शिवदयाल बना भुत, नही हुई मुक्ति।

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राधास्वामी के मुखिया (परवर्तक)शिवदयालसिंह की मुक्ति नहीं हुई तो अन्य शिष्यों का क्या हाल होगा मृत्यु उपरान्त वे अपनी शिष्य बुक्की मे प्रेत की तरह प्रवेश कर गए थे।उसके बाद बुक्की हुक्का पीने लगी चुरमा लेने तथा पलंग बिछाने लगी उसकी आंखे सुर्ख अंगारा सी हो जाती थी।यदि कोई बात पूछनी होती तो बुक्की के जरिए शिवदयालसिंह से पूछ लिया करते थे ।
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।जीवन चरित्र स्वामीजी महाराज-लेखक प्रताप सिंह।

स्वामीजी महाराज अंतिम समय तक बुक्की के शरीर में प्रकट रहे।
बुक्की स्वामीजी के पैर का अंगुठा मुंह में रख कर चूसा करती थी।जब कोई मत्था टेकने के वास्ते हटाना चाहता तो वे चरण नहीं छोड़ना चाहती थी।तब मत्था टेकने वाले से कह दिया जाता इस प्यासी को मत हटाओ तुम दुसरे चरण पर मथा टेक लो।और बयान किया करती थी कि मुझे इसमें ऐसा रस आता है कि जैसे कोई दूध पीता है।
श्री शिवदयालसिंह का कोई गुरु नहीं था।उन्होने 17वर्ष तक कोठरीे में बंद रह कर हठयोग किया।वह हुक्का भी पीते थे।

जिसके बारे में कबीर साहेब जी कहते हैं।

“गुरु बिन माला फेरते ,गुरु बिन देते दान।
ये दोनों निष्फल है,चाहे पुछो वेद पुरान।।”

गरीब,हुक्का हरदम पिवते,लाल मिलावै धूर।
इसमें संशय है नहीं,जन्म पिछले सूर (pig)।।

गरीब,सौ नारी जारी करै,सुरा पान सौ बार।
एक चिलम हुक्का भरै,डुबे काली धार।।

सावन सिंह महाराज के शिष्य खेमामल शाह मसताना डेरा सच्चासौदा के संस्थापक ने अपनी किताब में लिखा है कि सावनसिंह महाराज ने 12 साल तक मेरे शरीर में बैठ कर काम किया लेकिन किसी ने नहीं समझा अब मैं सतनाम सिंह के शरीर मे बैठकर नाम दूंगा।इससे सिद्ध होता हैकि अभी तो ये जीवन मरण के चक्कर में फसे हैं मुक्ति कहां से हुई।
श्रीमद्भगवत गीता अ०15श०4 में प्रमाण है सत्य साधना करने वाले साधक, परमेश्वर के उस परम धाम को प्राप्त हो जाते हैं,जहां जाने के पश्चात फिर लौटकर कभी संसार में नहीं आते।
यदि राधास्वामी के पास परमात्मा होते तो गद्दी न मिलने के कारण इतनी शाखाएं नहीं बनती।इस समय राधास्वामी की नौ से ज्यादा शाखाएं चल रही है।और पानी उसी एक कुएं का है।राधास्वामी वाले वाणियां तो कबीर साहेब की लेते है लेकिन उन्हे कवि और संत कह कर किनारा कर लेते है। मैं कहता हुँ यदि राधास्वामी वालो के पास इतना ज्ञान है तो अपनी किताबों में से कबीर साहेब जी ,दादू साहेब, पलटू साहेब,मलूक दास आदि की वाणियां अलग कर लो, क्योंकि इन सबके गुरु कबीर साहेब थे।तो फिर तुम्हारे पास क्या ज्ञान बचेगा? क्या राधास्वामी से पहले इस पृथ्वी पर परमात्मा नही थे?
सच तो यह है परमात्मा चारों युगों मे आते हैं और जीव को काल के बन्धन से छुड़ा कर सतलोक ले जाते हैं।

“सतयुग सतसुकृत कह टेरा,त्रेता नाम मुनिद्र मेरा।
द्वापर मे करुणामय कहाया,कलियुग नाम कबीर धराया।।

चारों युग संत पुकारे,कूक कहा हम हेल रे।
हीरे माणिक मोती बरसे,यह जग चुगता ढेल रे।।”

राधास्वामी वालो,
जो किसी के कर्म नहीं काट सकता वह सतगुरु और परमात्मा कैसा? जबकि वेदों मे लिखा है, परमात्मा पापी के पाप नाश करके आयु भी बढ़ा देता है।राधास्वामी वाले तो ज्ञान को सुनना भी नहीं चाहते जब तक सुनोगे नहीं तो तुलना कैसे करोगे कि कौन सही है कौन गलत। यदि कोई व्यक्ति कह रहा है तो उसकी बातों पर ध्यान दो और उसका विशलेषण करो।समझदारी उसी को कहते हैं अन्यथा भेड़चाल तो सभी करते हैं।
विस्तृत जानकारी के लिए “ज्ञान गंगा”पुस्तक पढ़े।
।। सत् साहेब ।।

LORD KABIR
Banti Kumar
WRITTEN BY

Banti Kumar

📽️Video 📷Photo Editor | ✍️Blogger | ▶️Youtuber | 💡Creator | 🖌️Animator | 🎨Logo Designer | Proud Indian

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