बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने नेपाल के भगतमति को नया जीवनदान दिया
08 दिसम्बर 2016, सिरहा, नेपाल
शाम के करीब 6:30 बजे सन्ध्या आरती करते समय मे नेपाल के सिरहा जिले के कल्याणपुर गा•वि•स• के करून्याही गाँव के भगत रोशन दास की भगतमति गोमा को परमात्मा बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने दर्शन दिये।
आरती के मध्य समय मे गुरुजी प्रकट हुए और पुजा स्थल पर विराजमान हुए फिर भगतमति ने प्रणाम किया। गुरुजी केवल भगतमति को दिखाई दे रहे थे भगत को नही दिखे जबकी दोनो एकसाथ आरती कर रहे थे। आरती समाप्त होने के बाद गुरुजी मुस्कुराए और बोले बेटा अब मै जा रहा हु। इतना केहकर गुरुजी चले गए।
भगतमति गुरुजी की यादमे बहुत देर तक रोई तभी अचानक भगतमति की तबियत बेहद खराब हो गयी। पुरा शरीर ठण्ड से काँपने लगा । दो blanket वो भी double fold कीया हुवा था जिसको ओढकर भी ऐसे काँप रही थी जैसे बर्फ पे सोइ हो। सारा शरीर दर्द करने लगा था। पैर बर्फ जैसा ठण्डा हो गया था शरीर बुखार से तप रहा था तभी शिर मे दर्द शुरू हो गया। घर के सब सदष्य जमा हो गए थे। सभी अपनी तरफ से कोशिश करके थक गए कुछ सुधार नही हुआ । दर्द से सिर फट्ने लगा।
आश्चर्य की बात ये थी की जब वो मालिक को प्रणाम करती थी और सतनाम का जाप करती थी तो उनका दर्द और ठण्ड लगना बुखार भी तुरन्त ठीक हो जाता था फिर कुछ देर मे शुरु हो जाता था। उस रात 11:30 बजे तक ऐसा कई बार हुआ।
रात 11:45 बजे के समय बन्दीछोड सतगुरु जी ने फिर भगतमती को दर्शन दिये और कहा की बेटा आपकी आयु आज पुरी हो चुकी थी आपकी आयु शेष नहीं थी।अगर आज परमात्मा की शरन मे ना होती तो आज आपकी मृत्यु निश्चित थी । गुरुजी ने कुछ काले कपडे पहने डरावने चेहरेवाले यमदुतो को दिखाया और कहा की बेटा ये आपको लेने के लिये आ रहे थे ,मुझे देखकर ये भाग गये।
गुरुजी ने फिर से कहा की इसीलिये मैने आपको आज दर्शन दिया है और भक्ति करने के लिए आपकी आयु अपने कोटे से बढ़ा दी है । और कहा की आप डटके भक्ति करना।
इतना केहकर परमात्मा फिर अन्तरध्यान हो गये ।इसके पश्चात भगतमति की तबियत तुरंत ठीक होकर वो स्वस्थ हो गइ।परमात्मा ने भगतमति को नया जीवनदान दिया ।
समर्थ का शरना गहो रंग होरी हो ।
कदै न हो अकाज राम रड़्ग होरी हो ।।
जय हो बन्दीछोड की
बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
सर्व भगत समाज से प्रार्थना है सतलोक आश्रम मे आए और सतगुरू रामपाल जी महाराज के रुप मे पुर्ण परमात्मा कबीर साहेब आए हुए है । उनसे दीक्षा लेकर जीवन सफल कराये। मुक्त होने का और कोई विकल्प नहीं है ।