2D Animation | परमात्मा कबीर साहिब जी का काशी (वाराणसी) में दिव्य महा-भंडारा | Kabir Saheb Kashi Bhandara

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पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी की अवतार लीला और सत्य का प्रकाश

पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी का आगमन इस धरती पर उन समस्त आत्माओं के लिए एक आशीर्वाद था जो परम सत्य की खोज में थीं। हर युग में, जब पाखंड और धर्म के नाम पर हो रही कुरीतियों ने समाज को अंधकार में धकेल दिया, तब कबीर साहिब ने सतलोक से अवतरित होकर सत्य ज्ञान का प्रकाश फैलाया। उन्होंने केवल अपने भक्तों को ही नहीं, बल्कि उन लोगों को भी सही राह दिखाने का कार्य किया जो अज्ञानता के कारण परमात्मा को नहीं पहचान सके थे।

लगभग 624 वर्ष पूर्व, काशी की जुलाहा बस्ती में एक सामान्य जुलाहे के रूप में अवतरित होकर, कबीर साहिब जी ने कपड़ा बुनने का कार्य करते हुए अपने तत्व ज्ञान और सतलोक की महिमा का गुणगान किया। उनकी लीला ने केवल काशी नगर में ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में हज़ारों-लाखों लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में समाज में फैले पाखंडवाद को खत्म करने का अथक प्रयास किया और सत्य भक्ति का मार्ग दिखाया।

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सतलोक की महिमा और तत्वज्ञान का प्रचार

कबीर साहिब जी का जीवन उनकी आत्मा की आध्यात्मिकता और परम ज्ञान का प्रतीक था। उन्होंने सतलोक की महिमा का विस्तार करते हुए कहा कि यह वह स्थान है जहाँ हर आत्मा को वास्तविक शांति और सुख मिलता है। उनके द्वारा दिए गए तत्वज्ञान ने न केवल समाज के भक्तों को बल्कि उन विद्वानों को भी झकझोरा, जिन्होंने अब तक केवल धर्म के बाहरी स्वरूप को ही अपनाया था।

सतलोक की महिमा का गुणगान करते हुए कबीर साहिब ने भक्त समाज को बताया कि केवल सच्चे ज्ञान और भक्ति के माध्यम से ही आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सतलोक परमात्मा का वह दिव्य धाम है जहाँ आत्मा को कभी भी दुख, पीड़ा या मरण का सामना नहीं करना पड़ता। कबीर साहिब जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से सतलोक की इस अपार महिमा का विस्तार से वर्णन किया और भक्तों को इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

समाज में व्याप्त पाखंडवाद का खंडन

कबीर साहिब जी के समय में, समाज में धर्म के नाम पर अनेक पाखंड और अंधविश्वास फैले हुए थे। मठों, आश्रमों, मंदिरों और मस्जिदों में साधु-संतों और मुल्लाओं-काजियों ने धर्म को अपने स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बना लिया था। ऐसे समय में, कबीर साहिब जी ने धर्म की सच्ची परिभाषा प्रस्तुत की और पाखंडवाद का खंडन करते हुए सत्य भक्ति का मार्ग दिखाया।

उनकी स्पष्टवादिता और साहसिक दृष्टिकोण ने उन्हें समय के धार्मिक ठेकेदारों की आँखों की किरकिरी बना दिया। पंडितों, मुल्लाओं और काजियों ने उन्हें एक आम जुलाहा समझ कर, उनकी महिमा को दबाने और उन्हें बदनाम करने के लिए अनेक षड्यंत्र रचे। लेकिन कबीर साहिब जी ने हर बार अपने अद्भुत चमत्कारों और ज्ञान के प्रकाश से इन षड्यंत्रों को विफल कर दिया।

काशी में भंडारे की घटना

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कबीर साहिब जी के जीवन की एक अद्वितीय घटना काशी में भंडारे के आयोजन से संबंधित है। शेख तकी नामक धार्मिक वीर ने कबीर साहिब जी को बदनाम करने की एक साजिश रची। उसने झूठी चिट्ठियां भेजी, जिसमें यह लिखा था कि कबीर सेठ पुत्र नूर अली अंसारी काशी में तीन दिन का भंडारा कर रहे हैं, जिसमें प्रत्येक भोजन के बाद एक सोने की मोहर और दोहर दक्षिणा के रूप में दी जाएगी। इस लालच में पूरे देश से लाखों की संख्या में लोग काशी में आ पहुंचे।

कबीर साहिब जी के पास इतने साधन नहीं थे कि वे इतने बड़े भंडारे का आयोजन कर सकें। लेकिन उनकी दिव्य लीला ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया। उन्होंने अपने दो रूप धारण किए, एक रूप में वे सतलोक में जाकर आवश्यक सामग्री का प्रबंध करते रहे और दूसरे रूप में काशी में रहकर भंडारे का आयोजन किया। तीन दिन तक लाखों भक्तों को स्वादिष्ट भोजन मिला और साथ ही सत्संग में सतज्ञान का रसपान भी हुआ।

पूर्ण परमात्मा की सहायता से भंडारे का आयोजन

कबीर साहिब जी ने सतलोक से अनंत कोटि बैलों को सामग्री के साथ काशी बुलाया, जिनके झोलों में भंडारे के लिए सभी आवश्यक वस्त्र और भोजन लदे हुए थे। यह दृश्य देखकर उपस्थित सभी भक्तजन हर्ष और आश्चर्य में थे। इतने बड़े भंडारे का आयोजन और उसमें दी जाने वाली वस्तुओं की समृद्धता ने यह सिद्ध कर दिया कि कबीर साहिब जी पूर्ण परमात्मा हैं।

भंडारे के आयोजन के दौरान, उन्होंने भक्त समाज को यह सिखाया कि परमात्मा की भक्ति सच्चे मन से की जाए तो कभी भी किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आती। कबीर साहिब जी ने यह भी कहा कि जो लोग सच्चे हृदय से भक्ति करते हैं, परमात्मा उनकी हर कठिनाई को स्वयं ही हल कर देते हैं।

कबीर साहिब जी के भक्तों की भक्ति और सेवा का महत्व

कबीर साहिब जी के इस अद्भुत भंडारे में 18 लाख लोगों ने भोजन किया और संतोषपूर्वक अपने घर लौटे। इस घटना ने कबीर साहिब जी की महिमा को चारों दिशाओं में फैला दिया। भंडारे में आए भक्तों ने न केवल भोजन प्राप्त किया, बल्कि सत्संग के माध्यम से सतज्ञान का भी लाभ उठाया। कबीर साहिब जी ने उन भक्तों के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि सच्ची भक्ति और सेवा का महत्व क्या होता है।

सिकंदर लोधी, जो कबीर साहिब जी का शिष्य बन चुका था, वह भी इस भंडारे में शामिल हुआ और परमात्मा के अद्भुत चमत्कार को देखकर विस्मित हो गया। उसने कबीर साहिब जी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को और भी दृढ़ कर लिया। वहीं दूसरी तरफ, शेख तकी जैसे धर्म के ठेकेदार, जो कबीर साहिब जी की महिमा को सहन नहीं कर सकते थे, उनकी चालें उन्हीं पर उल्टी पड़ गईं। शेख तकी ने कबीर साहिब जी को नीचा दिखाने का जो षड्यंत्र रचा था, वह कबीर साहिब जी की दिव्य शक्ति के आगे बुरी तरह विफल हो गया।

कबीर साहिब जी का जीवन और उनके उपदेश

कबीर साहिब जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य भक्ति और सच्चे ज्ञान का मार्ग कभी भी आसान नहीं होता, लेकिन अगर हम इस मार्ग पर दृढ़ता से चलते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमें हर कठिनाई से पार लगा देती है। उन्होंने समाज में व्याप्त पाखंडवाद को समाप्त करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया और सत्य का प्रचार किया।

कबीर साहिब जी के उपदेश हमें यह बताते हैं कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए हमें सच्ची भक्ति, सेवा, और समर्पण की आवश्यकता होती है। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में यह सिद्ध किया कि भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह सबसे सच्चा और स्थायी मार्ग है, जो आत्मा को परम शांति और मोक्ष की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

कबीर साहिब जी की लीलाएं और उनके द्वारा दी गई सतज्ञान की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि परमात्मा का मार्ग ही सच्चा मार्ग है। उनके जीवन के प्रत्येक प्रसंग में हमें सत्य, भक्ति, और सेवा का संदेश मिलता है। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, अगर हम सत्य मार्ग पर दृढ़ता से चलते हैं, तो परमात्मा स्वयं हमारी रक्षा करते हैं और हमें हर कठिनाई से बाहर निकालते हैं।

कबीर साहिब जी ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि परमात्मा की भक्ति और सेवा करने से हमें न केवल इस संसार में बल्कि परमधाम में भी शांति और सुख की प्राप्ति होती है। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें भी सच्चे मन से भक्ति करनी चाहिए और परमात्मा पर अडिग विश्वास रखना चाहिए।

FAQs

कबीर साहिब जी ने काशी में कितने वर्ष बिताए?

कबीर साहिब जी ने काशी में 120 वर्ष बिताए, जहाँ उन्होंने कपड़ा बुनने की लीला करते हुए भक्तों को सतज्ञान का उपदेश दिया।

सतलोक क्या है और इसकी महिमा क्या है?

सतलोक वह दिव्य धाम है जहाँ आत्मा को कभी भी दुख, पीड़ा या मरण का सामना नहीं करना पड़ता। यह परमात्मा का वास्तविक घर है, जहाँ आत्मा को सच्ची शांति और सुख प्राप्त होता है।

कबीर साहिब जी के भंडारे में क्या चमत्कार हुआ था?

कबीर साहिब जी ने सतलोक से अनंत कोटि बैलों को काशी बुलाया, जिनके झोलों में भंडारे के लिए सभी आवश्यक वस्त्र और भोजन लदे हुए थे। यह एक अद्भुत चमत्कार था, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया।

सिकंदर लोधी कबीर साहिब जी का शिष्य कैसे बना?

सिकंदर लोधी ने कबीर साहिब जी के अद्भुत चमत्कार और सतज्ञान को देखा और उनके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को दृढ़ कर लिया, जिसके बाद वह उनका शिष्य बन गया।

कबीर साहिब जी का मुख्य उपदेश क्या था?

कबीर साहिब जी का मुख्य उपदेश यह था कि सत्य भक्ति, सेवा, और समर्पण के माध्यम से ही आत्मा को परम शांति और मोक्ष प्राप्त हो सकता है।

कबीर साहिब जी ने समाज में फैले पाखंडवाद का कैसे खंडन किया?

कबीर साहिब जी ने अपने उपदेशों और दिव्य लीलाओं के माध्यम से पाखंडवाद का खंडन किया और सत्य भक्ति का मार्ग दिखाया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों को समाप्त करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाई।

Banti Kumar
WRITTEN BY

Banti Kumar

📽️Video 📷Photo Editor | ✍️Blogger | ▶️Youtuber | 💡Creator | 🖌️Animator | 🎨Logo Designer | Proud Indian

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