हिन्दुओं के विनाश का कारण
(हम अपने सभी धर्मगुरूओं से जानना चाहते हैं।)
हमारा हिन्दू धर्म के ज्ञानहीन धर्मगुरूओं, संत, आचार्यों, शंकराचार्यों, महर्षियों, मठाधीशों से निवेदन है कि हिन्दू धर्म के ठेकेदार बनकर हिन्दुओं को ही गलत अध्यात्म ज्ञान व मार्ग देकर इनके जीवन के साथ खिलवाड़ करना बंद करो।
अगर आप अपने ज्ञान को मानव कल्याण का ज्ञान व समाधान मान रहे हो तो, आप सभी अध्यात्म ज्ञान (जो वेद, गीता व पुराणों में वर्णित नहीं है) क्यों कथ रहे हो, तथा सर्व हिन्दू धर्म के गुरूजन भक्ति मंत्रा भी भिन्न-भिन्न तथा शास्त्रों के विरूद्ध क्यों बता रहे हो ? शास्त्रों में मोक्ष व सुख प्राप्ति के मंत्रा लिखे हैं जिनका आप सबको ज्ञान नहीं है।
आओ हम सभी मिलकर मंथन करके सत्यज्ञान सिद्ध करके मानव समाज को सत्य ज्ञान प्रदान करें, ताकि भक्त समाज का भ्रम दूर हो सके।
इसके लिए संत रामपाल दास जी के साथ एक आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा का आयोजन करके टी.वी. चैनल पर लाईव दिखाया जावे जिसको भक्त समाज सत्य व असत्य को अपनी आँखों देख ले। टी.वी. चैनल का खर्च हम वहन करेंगे।
अगर ऐसा नहीं कर सकते तो हम समझेंगे कि आपको कोई आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है, और भविष्य में ये गलत अध्यात्म ज्ञान देना बंद करें।
अन्यथा हम संवैधानिक तरीके से आपके शास्त्राविरूद्ध प्रचार का सख्त विरोध करेंगे क्योंकि हमने इन धर्मगुरूओं से कई बार ज्ञान चर्चा के लिए पत्रा लिख लिए। सन् 2009 में हमने दो चैनल भी बुक करवाए थे, परंतु कोई भी ज्ञान चर्चा के लिए नहीं आया।
इसलिए अब हम भारत सरकार के माध्यम से जनहित – हिन्दुओं के हित में, राष्ट्र के हित में इन धर्मगुरूओं द्वारा सद्भावनापूर्वक ग्रन्थों का निष्कर्ष निकालकर भ्रमित हिन्दुओं को फर्जी बाबाओं, झाड़-फूंक करने वालों द्वारा ठगने से बचाना चाहते हैं, ताकि उनको शास्त्रावर्णित भक्ति प्राप्त हो जिससे उनका कल्याण हो सके।
अगर आप लोग (धर्मगुरू) सत्यज्ञान/सत्यभक्ति मानव समाज को न देकर इसी तरह का ज्ञान देते रहे, तो आने वाले इतिहास में लिखा जाएगा कि ‘‘हिन्दुओं के विनाश का कारण‘‘ आप हैं।
करोड़ों की सँख्या में हिन्दुओं ने पंथ (धर्म) बदल लिया है। जैसे करोड़ों ईसाई बन गए, करोड़ों निरंकारी मिशन से जुड़ गए, करोड़ों राधा स्वामी पंथ में चले गए, करोड़ों डेरा सच्चा सौदा सिरसा में दीक्षित हो गए। कुछ समय उपरांत ये पंथ धर्म का रूप ले लेंगे। देश में धर्म के नाम से आपसी झगड़े का बीज बोया जा रहा है।
यह सब हमारे हिन्दू धर्म के गुरूओं की कमजोरी का कारण है क्योंकि जो अध्यात्म ज्ञान ये बताते हैं तथा जो साधना बताते हैं, वह शास्त्राविरूद्ध होने से जिस अपेक्षा की आशा लेकर साधक साधना करता है, वह पूरी नहीं होती। न सुख होता है, न आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त होती है और न ही गति यानि मोक्ष होता है। इसलिए इन लाभों के लिए उपरोक्त पंथों में चले गए।
अब संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताए शास्त्रा के प्रमाणों को आँखों देखकर वापिस आने लगे है ।