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नर्सी भगत की हुंडी के पैसे कृष्ण जी ने नही बल्कि किसी साहुकार ने दिये होगे-दयानंद
सत्यार्थ प्रकाश, समुल्लास 11, पेज 220..
दयानंद जी से किसी ने प्रश्न किया द्वारिका के रणछोड मतलब कृष्ण जी ने नर्सीमहिता की मेहता की हुंडी का ऋण चुका दिया था |
दयानंद जी का उत्तर – किसी साहुकार ने पैसे दे दिये होगे नाम कृष्ण जी का ले दिया होगा | जब 1814 मे अंग्रेजो ने मंदिरो की मूर्तियो को तोप से उडा दिया था तब मूर्तियां कहा गई थी.. बाघेर लोग जब वीरता से लडे थे शत्रुओ को मार गिराया था.. तब मूर्तियो ने किसी की टांग क्यो नही तोडी |
नोट– अब ऐसे नास्तिक को कौन समझाये.. मूर्तियां केवल परमात्मा की याद दिलाती है ओर कुछ नही करती ।
करता तो परमात्मा है लेकिन करता उसके लिए है जिस पर वह परमात्मा खुश होता है । जैसे भगत प्रहलाद, नर्सी पर वह खुश था । क्योकि वे पक्के भगत थे और अपने पक्के भगतो की लाज वह मालिक जरूर बचाता है ।
भक्ति करने से ज्यादा विश्वास जरूरी होता है जिस इंसान को भगवान की लीला पर विश्वास नही होता उसकी सारी भक्ति व्यर्थ होती है ।
उदारण के लिए— नर्सी भगत और ध्रुव, प्रहलाद, मीरा की लाज भगवान ने बचाई, क्योकि उनका अटूट विश्वास था ।
लेकिन दयानंद जी कि मौत बडी दर्दनाक हुई सारे शरीर पर फोडे हो गये थे । चारपाई पर लैटरिंग करता था । उसको भगवान ने नही बचाया क्योकि उनका भगवान पर विश्वास नही था ।
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मुझसे किसी ने कहा आपके रामपाल जी जेल मे क्यो गये उनको परमात्मा ने क्यो नही बचाया???
मैने कहा- राम 12 वर्ष के लिए वन मे क्यो गये… ?? उनकी पत्नी को रावण क्यो उठा ले गया राम क्यो रक्षा नही कर पाये..???
उसने कहा- ये भगवान कि लीला थी अगर ये सब नही होता तो रावण नही मरता…
मैने कहा-ये भी कबीर परमात्मा की लीला है जो संत रामपाल जी सच के लिए जेल मे गए है.. राम ने रावण के साथ सत्य और असत्य की लडाई लडी.. जीत अंत मे राम की हुई
ठीक इसी तरह संत रामपाल जी महाराज संसार के नकली धर्मगुरूओ के साथ सत्य और असत्य की लडाई लड रहे है लेकिन जीत अंत मे संत रामपाल जी महाराज की ही होगी ।