गुरूमाता भक्तमति ईन्द्रोदेवी जी का अन्तिम संस्कार सुबह 08:30AM पर सोनीपत में किया गया है ।
हे माता आप धन्य हैं, आप का जीवन धन्य है। आपके ऊपर परमात्मा ने वो रजा की है, जिसको सुनकर हमारी आत्मा गदगद हो जाती है। माते आपके श्री हृदय को उस परमात्मा का स्नेह प्राप्त हुआ इस बात को जब हम याद करते हैं आंखों में पानी भर आता है। हे माते आपका जीवन सफल हुआ।आपका जीवन सफल हुआ धन्य है, माता के इस जीवन की सफलता का किसी भी शब्द से बखान नहीं कर सकता। हे माते आपके इस स्नेहा को हम केवल महसूस कर सकते,वह परमात्मा जिस माता की छाती से लगा हो उनको कितना सुख मिला होगा,कितनी शांति मिली होगी,उस सुख को तो वह माता ही बयान कर सकती है। याद करते हैं उन पलों को आत्मा भरभराने लग जाती है। जिस परमेश्वर को पाने के लिए ऋषि मुनियों ने अपना शरीर समाप्त कर दिया, तप कर कर के अपना शरीर भस्म कर दिया, मगर उस परमात्मा की भनक तक नहीं लगी। उस परमात्मा को किसी माता ने अपने सीने से लगाया, लाड किया, प्यार किया, रुलाया और सुलाया उस पल के आत्मिक अनुभव को, उस स्नेह के सुख को लेखक कोई भी उपमा नहीं दे सकता हे माते आप धन्य हो। धन्य हैं आपके माता-पिता धन्य है वह नगर धन्य धन्य है वह देश जहां पर ऐसी महान आत्मा का आगमन हुआ। और धन धन्य हैं हम सब भारतवासी जिस मां के दवारा पैदा किए लाल से हमारा उद्धार होगा जिसकी कृपा से हम सब सतलोक जाएंगे हमारा उद्धार होगा उस परम संत की महिमा का बखान यह तुच्छ जह्वा नहीं कर सकती।
बंदी छोड़ मेरे परम पूज्य सद्गुरु रामपाल जी महाराज के श्री चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम।
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यही वो महास्त्री थी जिनकी कोख से जगत के तारणहार परमसंत सतगुरू रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ ।
08 सितम्बर 1951 को परमात्मा इस मृत्युलोक में आये थें ।
परमात्मा ने ये संन्देश भक्तमती इन्दर्ओ देवी के सतलोक जाने के 40 दिन पहले ही भेज दिया था ।
” माताजी को सत् साहेब,
भक्तमति ईन्द्रोदेवी, आप परमात्मा की विशेष अच्छी आत्मा हो , जिसके गर्भ से इस दास को जीवन मिला । जिसके कारण लाखो, करोडो, अरबों, खरबो प्राणियो का कल्याण होगा । उनको अपना छुटा हुआ घर मिलेगा । सतलोक सब का घर है । वहाँ जाने के बाद ये सब प्राणी उन सुख को पाकर जो आत्मा से दुआ देंगे कहेंगे की धन्य हो वो जननी ( ईन्द्रोदेवी ) जिसकी कोख से ऐसा महापुरूष जन्मा, जिसने अपने उपर कष्ट झेल कर हमारे को सुरक्षित-सुखी किया हम किस किमत से तुम्हे माँ बहनो का आभार करें ।
हम केवल आत्मा से धन्यवाद ही कर सकते है । हे माताजी ! आपको साथ लेकर सतलोक छोड कर आयेंगे ।
चिन्ता मत करना परमात्मा आगे खडे मिलेंगे ।
सत् साहेब”