“सन्त समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय
सुत धारा धन लक्ष्मी, ये पापी घर भी होय।”
5 फरवरी 2017 । आज का मानव सत्संग से दूर होकर पथ भ्रष्ट हो चुका है। जीवन के मूल उद्देश्य से विचलित होकर गलत मार्ग पर आरूढ़ हो चुका है… सत्संग में मनुष्य को यही बातें याद दिलाई जाती है हमारे मनुष्य जीवन का क्या उद्देश्य है, परमात्मा कौन है तथा उसे पाने की विधि बताई जाती है एवं बुराइयों से दूर होकर निर्मल जीवन जीने का मार्ग बताया जाता है। मनुष्य के चरित्र का निर्माण किया जाता है।
इन्हीं विषयों पर आज देश के कई शहरों में संत रामपाल जी महाराज का अमृत सत्संग हुआ। सत्संग सुनने के लिए श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सन्त जी के आध्यात्मिक तथा सामाजिक विचारों को सुनकर लोगों ने दाँतों तले उंगली दबाई कि ऐसा ज्ञान और प्रमाण आज तक किसी भी सन्त गुरु मंडलेश्वर से सुनने को नहीं मिला।
सन्त रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रभावित होकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने नाम दीक्षा ली और सभी बुराइयों को छोड़ने का प्रण लिया। सैकड़ों लोग आज संत रामपाल जी द्वारा तैयार किए जा रहे स्वच्छ निर्मल समाज का हिस्सा बन गये।
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