काफिर कौन ?
जो लोग गलत कर्म करते है मुस्लिम धर्म में उसे काफिर कहते है और हिन्दू धर्म में उसे ढेड़ कहते है। अर्थात बुरा व्यक्ति।
भाई बहनो से प्रार्थना है अपने जीवन के बीते समय पर एक नजर डाले और देखे परमात्मा के अनुसार आप कितने % सही माइने में एक मानव अर्थात सभ्य इंसान है।
अब आप गौर से पढ़िए हम अभी कितने काफिर (ढेड़) है। और अपने आपको सुधारने की कोशिश करे।
काफिर का मतलब नीच ढेड़ व्यक्ति।
2– वे काफिर है जो साली के साथ अवैध सम्बन्ध बनाते है उसे अपनी बहन के तुल्य नहीं समझते है
3– वे काफिर है जो कुछ दान धर्म नहीं करते है और सारा पैसा बकवासों में बर्बाद करते है।
4– वे काफिर है जो साधू संत अर्थात सच्चे व्यक्तियो के साथ बात बात पर अड़ते है उन्हें भला बुरा कहते है
5– वे काफिर है जो भगवान् की तलाश में तीर्थ व् देवी धामो पर धक्के खाते फिरते है भगवान् केवल सच्चे संत की शरण अर्थात सतगुरु बनाकर उनकी बताई साधना से प्राप्त होता है।
6– वे काफिर है जो बड़ बड़ बोलते है अर्थात कोई बात चलते ही अपनी हाकने लग जाते है और दुसरे की बात नहीं सुनते है
7– वे काफिर है जो सौदा करते समय कम तोलते है अर्थात व्यापार में बेइमानी करते है
8– वे काफिर है जो किसी का पैसा या अन्य वस्तु उधार लेकर समय पर वापिस नहीं करते है
9– वे काफिर है जो दूसरे की औरत में बुरी नियत रखते है। अर्थात पर स्त्री गमन करते है। ऐसे व्यक्तियो के सत्तर जन्म अंधे गधे के होते है।
कबीर जी कहते है।। पर द्वारा स्त्री का खोलै सत्तर जन्म अँधा हो डोलै
10– वे काफिर है जो नीच अर्थात दुष्ट व्यक्ति के साथ उठते बैठते है क्योंकि एक दिन वो हमारे विचार भी बदल देता है।
11– वे काफिर है जो कन्या को मारते है अर्थात गर्भपात करवाते है।
12– वे काफिर है जो जंगल में आग लगा देते है जिस कारन कितने जीव् उसमे जलकर मर जाते है
13– वे काफिर है जो औरत पर हाथ उठाते है मर्द होकर एक अबला पर जुल्म करते है
14– वे काफिर है जो अपने मन में दोष रखकर किसी दूसरे के साथ व्यापार करते है।
15– वे काफिर है एक सर्व शक्तिमान पूर्ण परमात्मा को छोड़कर अन्य देवी देवताओ की पूजा करते।
16– वे काफिर है जो छोटी छोटी बातो पर विचार ना करके तुरंत झगड़ा कर लेते है अर्थात उसके कारण तक नहीं पहुचते है
17– वे काफिर है जो मॉस अर्थात जीव् होकर एक जीव् को खाते है अगर कोई आपके बच्चे की उंगली भी काट कर खाये तो आप पर क्या बीते गी। ऐसे ही उन निर्दोष मासूम जीवो पर बीतती है।
18– वे काफिर है बे सबरी अर्थात खाने पर संयम नहीं रखते है
19– वे काफिर है जो साधू संतो का आदर नहीं करते है अर्थात घर पर आये हुए को भोजन नहीं करवाते है।
20– वे काफिर है जो किसी की खेती अर्थात फसल की चोरी करते है उसको नुक्सान पहुचाते है।
21– वे काफिर है जो मोर को मारते है अर्थात इतने सुन्दर पक्षी को भी नहीं छोड़ते है।
22– वे काफिर है जो गणिका अर्थात वैश्या के संग मेल करते है। अपने सम्बन्ध बनाते है वे नीच होते है।
23– वे काफिर है पशु की तरह नंगे फिरते है परमात्मा कहते है यदि नंगे होकर साधना करने से भगवान् मिलता हो तो ये पशु पक्षी तो जन्म से ही नंगे होते है इनको कबका भगवान् मिल गया होता। अर्थात ऐसी साधना व्यर्थ है वे नीच व्यक्ति है।
24– वे काफिर है जो पशु के दूध ना देने पर उसे बुरी तरह से मारते है।
25– वे काफिर है जो तम्बाकू प्रयोग करते है ( बीड़ी सिगरेट कोई भी नशीली वास्तु गुटखा पान मसाला आदि) वे नीच व्यक्ति है क्योंकि हमारे शरीर में बने कमलो में सभी भगवानो का निवास है और इस शरीर में हम गंदगी डालते है तो वे भगवान् भी नाराज होते है। और हम महापाप के भागी होते है।
25– वे काफिर है जो किसी को डरा धमका कर उसे जबरन कोई वस्तु लेते है ऐसे व्यक्ति भी नीच होते है।
26– वे काफिर है जो लड़की को बेचकर धन अर्जित करते है।
27– वे काफिर है जो विधा चुराते है अर्थात स्वार्थ के लिए किसी से कोई काम धंधा सीख कर उसी से दगा करते है।
28– वे काफिर है जो शराब पीते है शराब हमारे शरीर को तो नुक्सान पहुचाती ह ही । शराब पिने वाले व्यक्ति के सत्तर जन्म कुत्ते के होते है।
कबीर जी कहते है।।
29– वे काफिर है जो व्यापार धंधे में बईमानी करते है और अपना सम्बन्ध ख़राब करते है।
30– वे काफिर है जो पूर्ण परमात्मा की सदभक्ति नहीं करते है अर्थात बिना गुरु बनाये पत्थरो को पूजते रहते है जो नहीं लाभ दे सकते है और नहीं कोई नुक्सान कर सकते है।
32– वे काफिर है जो इच्छा ना होने पर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है। जिससे हमारे शरीर को नुकशान पहुचता है।
33– वे काफिर है जो पानी पीते हुए किसी पशु पक्षी को पत्थर या लठ् मारते है।
34– वे काफिर है जो गन्दा ज्ञान प्रचार करते है अर्थात अपने आप ही गुरु बनकर गलत ज्ञान प्रचार करते है वे भगवान् के द्रोही होते है।
परमात्मा कहते है जिस व्यक्ति में ऊपर लिखी बातो में से एक भी दोष है वह काफिर अर्थात नीच प्राणी है वह व्यक्ति चाहे कितना भी दान धर्म करे या भक्ति करे उसे कभी भी भगवान् की प्राप्ति या उनसे मिलने वाले लाभ नहीं हो सकते और मैंने के बाद उसे यमराज के दरबार में उल्टा लटकाकर उसकी खाल खैची जाती है अर्थात तरह तरह की घोर यातनाये दी जाती है।
परमात्मा ने इनसे बचने का एक ही उपाय बताया की सच्चे संत की शरण में आकर भक्ति करे और आगे कोई भी गलती ना करने की प्रतिज्ञा ले। तब वह पूर्ण संत आपके जीवन के पिछले सभी दुष्कर्मो को माफ़ कर देता है और आगे ऐसा ज्ञान देगा जिसे सुनकर आप सपने में भी कोई गलत काम नहीं कर सकते है।
आज वर्तमान में वह पूर्ण संत । रामपाल जी महाराज है जिनकी शरण में अर्थात नाम उपदेश लेकर भक्ति करने से हमारे पिछले सारे पाप कर्म तो माफ़ होंगे ही होंगे हमारा मोक्ष भी निश्चित है।
बाकी आपकी अपनी सोच है।
प्रतिदिन अवश्य देखिये साधना टीवी पर रात्रि 7:40 से 8:40 तक संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचन।