शब्द महल में सिद्धि चोबीसा |
हंस बिछोरे बिस्वे बीसा ||
एक सिद्धि सुर देव मिलावे |
एक सिद्धि मन वरति बतावै ||
एक सिद्धि है पवन स्वरुपी |
एक सिद्धि होवे अनरूपी ||
एक सिद्धि निसवासर जागें |
एक सिद्धि सेवक होये आगे ||
एक सिद्धि सुरगा पुर धावे |
एक सिद्धि जो सब घट छावे ||
एक सिद्धि सब सागर पीवे |
एक सिद्धि जो बहु जुग जीवे ||
एक सिद्धि जो उड़े अकाशा |
एक सिद्धि परलोके वासा ||
एक सिद्धि कष्ट तन जारा |
एक सिद्धि तन हंस न्यारा ||
एक सिद्धि जल डूब न जाई |
एक सिद्धि जल पैर ना लाई ||
एक सिद्धि बहु चोले धारे |
एक सिद्धि नी तत्व विचारे ||
एक सिद्धि पांचो तत्व निरंम् |
एक सिद्धि जो बजर शरीरं ||
एक सिद्धि पीवे नहीं खाई |
एक सिद्धि जो गुप्त छिपाई ||
एक सिद्धि ब्रह्मंड चलावे |
एक सिद्धि सब नाद मिलावे ||
एता खेल खिलारी खेले |
सोंहम् हंसा प्रगट वेले ||
चोबीसा कूं न दिल चावे |
सो हंसा शब्द अतीत कहावे ||
परा सिद्धि पूर्ण पटरानी |
सत् लोक की कहूँ निशानी ||
सत् लोक सुख सागर पाया |
सतगुरु भेद कबीर लखाया ||
परम हंस देखो परवाना |
जन कहता दास गरीब दिवाना ||
सत् साहेब जी
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