मक्का महादेव का मंदिर है | Mecca is the temple of Mahadev

सतगुरू नानक देव जी ने चार इमामों से चर्चा करते हुए कहा कि जिस मक्का शहर में जो काबा (मंदिर) है जिसको आप अपना पवित्र स्थान मानते हो। वह महादेव (शिव जी) का मंदिर है। इसमें सब देवी-देवताओं की मूर्तियाँ (बुत) थी। उसकी स्थापना करने वाला सुल्तान (राजा) ब्राह्मण था। बाद में सब मूर्तियाँ उठा दी गई थी। नबी इब्राहिम व हजरत इस्माईल (अलैहि.) ने इसका पुनः निर्माण करवाया था।
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सिख धर्म की पुस्तक भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रमाण है:-

‘‘साखी मदीने की चली‘‘ हिन्दी वाली के पृष्ठ 262 पर श्री नानक जी ने चार इमामों के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा है:-

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आखे नानक शाह सच्च, सुण हो चार इमाम।

मक्का है महादेव का, ब्राह्मण सन सुलतान।।

– Guru Nanak

भावार्थ:- सतगुरू नानक देव जी ने चार इमामों से चर्चा करते हुए कहा कि जिस मक्का शहर में जो काबा (मंदिर) है जिसको आप अपना पवित्र स्थान मानते हो। वह महादेव (शिव जी) का मंदिर है। इसमें सब देवी-देवताओं की मूर्तियाँ (बुत) थी। उसकी स्थापना करने वाला सुल्तान (राजा) ब्राह्मण था। बाद में सब मूर्तियाँ उठा दी गई थी। नबी इब्राहिम व हजरत इस्माईल (अलैहि.) ने इसका पुनः निर्माण करवाया था।

अब आप जी को अपने उद्देश्य की ओर ले चलता हूँ। आप जी को स्पष्ट करना चाहता हूँ कि जो यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान सूक्ष्म वेद में है, वह न गीता में है तथा न चारों वेदों में है, न पुराणों में है, न कुरआन शरीफ में, न बाईबल में, न छः शास्त्रों तथा न ग्यारह उपनिषदों में।

उदाहरण:- जैसे दसवीं कक्षा तक का पाठ्यक्रम गलत नहीं है, परंतु उसमें B.A तथा M.A वाला ज्ञान नहीं है। वह पाठ्यक्रम गलत नहीं है, परन्तु पर्याप्त नहीं है। समझने के लिए इतना ही पर्याप्त है।

प्रश्न:- संसार के शास्त्र तथा सन्त, परमात्मा के विषय में क्या जानकारी देते हैं?

उत्तर:– विश्व के मुख्य शास्त्रों, सद्ग्रन्थों में परमात्मा को बहुत अच्छे तरीके से परिभाषित किया है। पहले यह जानते हैं कि विश्व के मुख्य शास्त्र, सद्ग्रन्थ कौन-से हैं?

1. वेद:- वेद दो प्रकार के हैं:- 1. सूक्ष्म वेद, 2. सामान्य वेद।

1. सूक्ष्म वेद:-

पांचवां वेद, सूक्ष्म वेद है

 यह वह ज्ञान है जिसको (अल्लाह ताला) समर्थ परमात्मा स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होकर अपने मुख कमल से वाणी उच्चारण करके बोलता है, यह सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान है।

प्रमाण:- ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 86 मन्त्र 26-27, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 82 मन्त्र 1-2, 3, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 94 मन्त्र 1, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 95 मन्त्र 2, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 20 मन्त्र 1, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 96 मन्त्र 17 से 20, ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 54 मन्त्र 3, यजुर्वेद अध्याय 9 मन्त्र 1 तथा 32, यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मन्त्र 7, सामवेद मन्त्र संख्या 822।

अन्य प्रमाण:- श्री मद्भगवत गीता अध्याय 4 मन्त्र 32 में है।  कहा है कि सच्चिदानंदघन ब्रह्म यानि सत्य पुरूष अपने मुख कमल से वाणी बोलकर तत्वज्ञान विस्तार से कहता है। कारण:- परमात्मा ने सृष्टि के प्रारम्भ में सम्पूर्ण ज्ञान ब्रह्म (ज्योति निरंजन अर्थात् काल पुरूष) के अन्तकरण में डाला था। (Fax किया था) परमात्मा द्वारा किए निर्धारित समय पर यह ज्ञान स्वयं ही काल पुरूष के श्वांसों द्वारा समुद्र में प्रकट हो गया। काल पुरूष ने इसमें से महत्वपूर्ण जानकारी निकाल दी। शेष अधूरा ज्ञान संसार में प्रवेश कर दिया। उसी को चार भागों में ब्यास ऋषि ने विभाजित किया। उसके चार वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) बनाए।

2. सामान्य वेद:- 

यह वही चारों वेदों वाला ज्ञान है जो ब्रह्म (ज्योति निरंजन अर्थात् काल) ने अपने ज्येष्ठ पुत्र ब्रह्मा जी को दिया था। यह अधूरा ज्ञान है। इसमें से मुख्य जानकारी निकाली गई है जो ब्रह्म अर्थात् काल ने जान-बूझकर निकाली थी। कारण यह था कि “काल पुरूष” को भय रहता है कि मानव को पूर्ण परमात्मा का ज्ञान न हो जाए। यदि प्राणियों को पूर्ण परमात्मा का ज्ञान हो गया तो सब इस काल के लोक को त्यागकर पूर्ण परमात्मा के लोक (सत्यलोक=शाश्वत स्थान) में चले जाऐंगे, जहाँ जाने के पश्चात्जन्म-मृत्यु समाप्त हो जाता है। इसलिए ब्रह्म (काल पुरूष) ने पूर्ण परमात्मा के परमपद की जानकारी नहीं बताई, वह नष्ट कर दी थी। उसकी पूर्ति करने के लिए पूर्ण परमात्मा स्वयं सशरीर प्रकट होकर सम्पूर्ण ज्ञान बताता है। अपनी प्राप्ति के वास्तविक मन्त्र भी बताता है जो काल भगवान ने समाप्त करके शेष ज्ञान प्रदान कर रखा होता है। उसको ऋषिजन चार वेद कहते हैं। ऋषि व्यास जी ने इस वेद को लिखा तथा इस के चार भाग बनाए।

1. ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. सामवेद 4. अथर्ववेद जो वर्तमान में प्रचलित हैं।

इन्हीं चार वेदों का सारांश काल पुरूष ने श्री मद्भगवत गीता के रूप में श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके महाभारत के युद्ध से पूर्व बोला था। वह भी बाद में महर्षि व्यास जी ने कागज पर लिखा। जो आज अपने को उपलब्ध हैं। सद्ग्रन्थों में बाईबल का नाम भी है।

बाईबल:- यह तीन पुस्तकों का संग्रह है। 1. तौरेत 2. जबूर 3. इंजिल। बाईबल में सर्वप्रथम सृष्टि की उत्पत्ति की जानकारी है, वह तौरेत पुस्तक वाली है जिसमें लिखा है कि परमात्मा ने सर्वप्रथम सृष्टि की रचना की। पृथ्वी, सूर्य, आकाश, पशु-पक्षी, मनुष्य (नर-नारी) आदि की रचना परमात्मा ने छः दिन में की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा। सृष्टि रचना अध्याय 1 के श्लोक 26, 27-28 में यह भी स्पष्ट किया है कि परमात्मा ने मानव को अपने स्वरूप जैसा उत्पन्न किया।

Proof From Bible chapter Genesis

  • 1:26 : And God said, Let us make man in our image, like us: and let him have rule over the fish of the sea and over the birds of the air and over the cattle and over all the earth and over every living thing which goes flat on the earth.
  • 1:27 : And God made man in his image, in the image of God he made him: male and female he made them.
  • 1:28 : And God gave them his blessing and said to them, Be fertile and have increase, and make the earth full and be masters of it; be rulers over the fish of the sea and over the birds of the air and over every living thing moving on the earth.

इससे सिद्ध हुआ कि परमात्मा भी मनुष्य जैसा (नराकार) साकार है।

 


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Banti Kumar
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