जब नारद बने लड़की तो पैदा की थी 72 संताने- जानिये कैसे ?

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कथा नारद मुनि की


नारद मुनि
एक बार नारद जी में अहंकार हो गया था और उस समय वे गुरु विमुख भी थे।

नारद जी विष्णु भगवान से बोले कि “जी मैनें बहुत ज्ञान हो गया है और मुक्ति प्राप्त हो गई ये सोच लो, मैं अब माया के चक्कर में नहीं आऊं।”

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तो विष्णू जी ने सोची “ये और बिगड़ गया काम इसका अभिमान हो गया इसमें अब।”

तो उसके लिये विष्णु जी ने एक तरीका निकाला। और नारद जी से कहने लगे “चल भई। घूम कर आते हैं एक जगह।”

नारद जी ने पूछा”मैं भी चलूँ?”
“आ जा ना दोनों बोलते-बात करते चलेंगे”, विष्णु भगवान नारद जी से कहने लगे।

तो नारद जी और विष्णु भगवान चले जाने लग रहे थे
एक बहुत सुंदर नदी बह रही थी।

उस नदी के पास खड़ा होकर विष्णु जी कहने लगे “नारद जी आप यहाँ खड़े होना मैं पानी पी आता हूँ।”

नारद जी बोले “महाराज जी मैं ले आऊँगा पानी। आप बैठो। मैं आपका बच्चा हूँ।”

विष्णु भगवान बोले “पर भाई स्नान करके लाना, वैसे नहीं।’

नारद जी बोले कि “अच्छा जी।”

 नदी में स्नान करने के लिये नारद जी छलांग लगाते हैं। छलांग लगाते ही बाहर निकलते हैं तो एक सुंदर जवान लड़की बन जाते हैं। ना वहाँ विष्णु जी दिख रहे ना उसे ये पता कि वो कौन है? कहाँ से आई है?

इतने में उसी नगरी का एक राजा प्रेरीत हो कर भगवान की कृपा से आ जाते हैं। आके देखते हैं सुंदर खूबसूरत लड़की और शाम का समय हो रखा। लड़की से पूछते हैं “आप यहाँ कैसे?”

लड़की बोलती है कि “मुझे नहीं मालूम जी मैं कहाँ से आई हूँ? कौन हूँ?”

राजा ने सोचा “भाई यहाँ पर सौ तरह के बदमाश व्यक्ति हैं।” उनको अपने घर ले गया।

राजा बोलते हैं कि “मेरे साथ चलो मैं राजा हूँ इस नगरी का।”

लड़की राजा के साथ चल पड़ती है।

तो राजा ने शादी कर ली उसके साथ। कहते हैं 72 संतान हुई। पटरानी बना के रखी। बहुत खूबसूरत थी।
फिर वो बूड्ढ़ी हो गई। सफेद बाल आ गए।

वो राजा ने फिर चढ़ाई कर दी। 72 की 72 संतान और राजा मारा जाता है। बुढ़िया घर से निकल पड़ती है, रो-रो कर पागल हो जाती है। आत्महत्या करने के लिये उसी नदी में छलांग लगा देती है।

बाहर निकलता है तो नारायण-नारायण करता हुआ नारद जी खड़ा है। भगवान विष्णु मुस्करा रहे हैं कि भाई नारद बहुत देर  लगा दी। प्यास लग रही थी भाई। इतनी देर लगाते हैं?!

और नारद जी को पसीने आ रखे “हाए! मेरा बेटा मर गया मेरे पोते मर गए! हाए! मेरा क्या राह होगा?”

यूँ करता हुआ निकलता है और ये सोच रहा महाराज जी सामने खड़े।

 विष्णु जी बोलते हैं “पानी लेने गया था भगत जी।”

 नारद: “ओए होए!”

 और नारद जी को सूबकी बंद रही अंदर से। जैसे सपने में उठते हैं कई बार।

 विष्णु जी बोले “आजा बेटा।”


 नारद जी बोले “महाराज जी मुझे नहीं पता था ये काम हो जाएगा मेरे संग में।”

By- JKBK

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Banti Kumar
Banti Kumar

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